Barsana Radha Rani Temple | बरसाना राधारानी निजमहल
Barsana Radha Rani Temple | बरसाना राधारानी निजमहल
Barsana Radha Rani Temple
”मन से कहिये राधे राधे”
Barsana Radha Rani Temple यह स्थान आप देख रहे है यह एक विशाल मंदिर है और बृज में सबसे ऊँचे स्थान पर है , इस मंदिर को राधा रानी महल बरसाना कहा जाता है | इस ऊँचे पर्वत का नाम ब्रम्हाणचल पर्वत है | यहाँ पर गोस्वामी नारायण भट्ट जी ने श्री राधारानी के विग्रह को प्रकट किया |
इस पर्वत के चार मुख है | प्रथम दानगढ़ जहाँ भगवान श्री कृष्ण ने राधारानी से दान लिया था | दूसरा मानगढ़ जहा पर राधारानी का मान रखा | तीसरा विशालगढ़ जहाँ श्रीराधाकृष्ण जी ने रास विलास किया जहाँ रासविहारी जी का मंदिर है और अंतिम भानुगढ़ जहाँ पर अब स्वयं राधारानी विराजमान है |
Barsana Radha Rani Temple
जिसे हम राधारानी महल कहते है | माथुर से 50 किमी. की दुरी पर है | वैसे तो राधारानी का जन्म रावल गांव में हुआ था | जो कि गोकुल से 5 किमी. की दूरी पर स्थित है | जो कि पुराना नंदगाव कहलाता है ये दोनों यमुना नदी पार है | कृष्ण जन्म के पश्चात कंस ने अपनी मौत के डर के कारण गोकुल तथा बृजबासियों को परेशान करता था
जिससे सभी बृजबासी परेशान थे इसी डर के कारण वृषभान जी ने रावल गांव छोड़ने का निर्णय लिया और ब्रमांचल पर्वत पर अपना निज निवास बनाया जिसे हम बरसाना कहते है |
राधा। जो प्यार की परिभाषा समझाने प्रकट हुई इस धरती पर। भाग 1
क्यों बरसाना गांव को एक सखी स्वरुप कहा जाता है ?
यह बरसाना गांव एक सखी स्वरुप है | निजमहल में राधारानी का स्वरुप व श्री कृष्ण जी का स्वरुप एक ही ओढ़नी में विराजमान है | आप दर्शन करेंगे तो देखेंगे राधा में कृष्ण और कृष्ण में राधा है यह दोनों विग्रह मात्र 2 फ़ीट के है | यहाँ पर कृष्ण भगवान ने सखी रूप में प्रवेश किया |
उस समय बरसाना गांव में श्राप लगाया कि पराया मनुष्य जब यहाँ आता तो जनाना रूप बन जाता था यहाँ पर सवयं कंस आया था और जनाना बन गया और सजा के तौर पर कंस ने छ महीने गोबर के कंडे थापे बरसाना में सवयं कृष्ण भगवान भी सखी रूप रखकर आया करते थे | कभी मनिहारी बनकर चूड़ी बेचने कभी धोबन बनकर राधारानी से मिलने आया करते थे | इसीलिए बरसाना गांव को सखी रूप कहा जाता है |
राधा अष्टमी विशेष उत्सव-
भादो शुक्ल अष्टमी को राधाष्टमी का विशेष उत्सव को राधारानी के जन्मदिन के रूप में मानते है पुरानी कथा के अनुसार राधारानी जी को दूध में रोटी मिलाकर राधारानी जी का भोग लगते है
फिर उसमें से सभी भक्त लोगो को प्रसाद बांटते है | इस मंदिर कि दो सौ पैंतीस सीढ़िया बनी हुई है | इस विशाल मंदिर के ऊपर चढ़कर देखेंगे तो पूरा बरसाना गांव दिखाई देता है | बरसाना के पास आठ गांव और सम्मिलत है यह सखी मंदिर बृज चौरासी कोस की यात्रा में आते है | जो की आठ सखियों के अलग – अलग गांव है –
राधारानी की आठ सखियों के नाम से अलग – अलग गांव –
- Shri Vishakha sakhi Aajnokh gav (आजनोख़ गांव)
- Shri Lalita Sakhi Uncha Gav (ऊँचा गांव )
- Shri Champlata Sakhi Karhala Gav (करहला गांव )
- Shri chitralekha Sakhi Chiksosi Gav (चिकसौली गांव )
- Shri Radha ji Barsana Gav (बरसाना गांव )
- Tungdevi Sakhi Kamai Gav (कमई गाँव )
- Indulekha Sakhi Rakoli Gav (राकोली गांव )
- Rangdevi Sakhi Dbhara Gav (डभारा गांव )
- Sudevi Sakhi Sunhra Gav (सुनहरा गांव )
- Chandravali Sakhi Rithora Gav (रिठौरा गांव )
Shri Radha Rani Maansarovar Tepmle ।। श्रीराधा रानी के आसुओं से बना है यह कुंड
बरसाना विश्व प्रसिद्ध लट्ठमार होली उत्सव:
बरसाना गांव की लठमार होली विश्वःविख्यात मानी जाती है वैसे तो हमारे बृज में सवा महीने (४० दिन) तक होली महोत्सव मनाया जाता है परन्तु बरसाने की होली प्रसिद्व है | जिसमें नंदगाव के ग्वाले और बरसाने की गोपिकाएं लठमार होली का उत्सव मानते है |
बरसाने की गोपिकाये हाथ में लट्ठ ले नंदगाव क ग्वालो को मरती है अउ नंदगाव के ग्वाले हाथ में ढाल लेकर अपना बचाव करते है | इस रंगा रंग कार्यक्रम को देखने क लिए देश विदेश से लो आते है | जिसमे प्रशासन सभी सुविधाओ को परिपूर्ण करते हुए मंत्री , नेता तथा लाखो की तादात में लोग एकत्रित होते है
और इस होली महोत्सव का आनंद लेते है तथा देसी – विदेशी भक्त शर्म न करते हुए इस होली महोत्सव में रंगने के लिए अपने आपको खुश किस्मत मानते है और सभी लोग अपने ऊपर रंग डलवाने को तरसते है इसलिए यहाँ कि लठ्मार होली प्रसिद्ध है |
वैसे तो हज़ारो लाखो यात्री प्रतिदिन मथुरा वृन्दावन आते है परन्तु बरसाना में राधारानी के दर्शन किये बिना वापस चले जाते है बहुत की अभागे होते है क्युकि बृज में राधारानी की सरकार अनोखी सरकार है जैसे दिल्ली में बीजेपी कांग्रेस की इससे भी कई गुना बड़ी राधारानी की सरकार है | राधारानी के इस बृज में हर प्राणी हर जीव के मुख पर राधे – राधे नाम की रटना लगी रहती है इसलिए कहते है –
बृज के इस वृक्ष को मरहम न जाने कोई |
यहाँ डाल – डाल और पात – पात पर राधे – राधे होए ||
कैसे पहुंचे बरसाना-
यह मथुरा से 50 किमी. दूरी पर स्थित है | और छाता से 17 किमी. दूरी पर स्थित है और गोवेर्धन से २० किमी. की दूरी पर है |वृन्दावन से बरसाना दूरी 43 किमी. है | बरसाना जाने के लिए सभी सुबिधाये लागू है | आप अपने कार से बस से या ऑटो से भी बरसाना पहुंच सकते है और अगर आप बाइक से जाना चाहे तो जा सकते है
बृज भक्ति की टीम आपकी बरसाना और बृज भूमि की मंगलमय यात्रा की कामना करते है और श्री लाड़ली राधा रानी से प्रार्थना करते है कि वो करुणामयी सरकार हम सब पर कृपा करें |
बरसाना राधारानी महल खुलने का समय:
ग्रीष्म कालीन: शीतकालीन:
मंगला आरती प्रातः 5 बजे मंगला आरती प्रातः 6 बजे श्रृंगार आरती प्रातः 7.30 बजे श्रृंगार आरती प्रातः 8.30 बजे राजभोग आरती दोप. 12.30 बजे राजभोग आरती दोप. 1 बजे उत्थापन साय 5.30 बजे उत्थापन साय 4.30 बजे संध्या आरती साय 7.30 बाजे संध्या आरती साय 6 बाजे शयन आरती रात्रि 9 बजे शयन आरती रात्रि 8 बज
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