Shri Radha Rani Maansarovar Tepmle ।। श्रीराधा रानी के आसुओं से बना है यह कुंड
Shri Radha Rani Maansarovar Tepmle, Vrindavan
मान यानी क्रोध इस जगह को मान सरोवर कहा जाता है क्योंकि श्री राधा रानी यहां मान के भाव में आई थीं। मान तब होता है जब राधारानी क्रोधित होती है और कृष्ण की वजह से आहत महसूस करती है। श्री राधारानी को समर्पित मान सरोवर झील के तट पर बहुत ही सुन्दर मंदिर है।
Radha Rani Maansarovar एक शांतिपूर्ण जगह पर स्थित है, जो पूरी तरह से जंगल से घिरा हुआ है। इस जगह पर बहुत कम लोग आते हैं और जब तक आप इस जगह के काफी करीब नहीं पहुंच जाते, ज्यादातर लोगों को पता नहीं चलेगा कि यह मंदिर कहां स्थित है।
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Shri Radha Rani Maansarovar, एक दुर्लभ भूमि और पक्षी की मधुर आवाज के साथ आकार में लगभग पांच एकड़ में फैले और सफेद संगमरमर से बने मंदिर में जहां श्री राधारानी के श्री विग्रह को चहकते पक्षियों के साथ झील से घिरा हुआ देखा जा सकता है ।
नाव वृंदावन से केशीघाट से होते हुए दूसरी ओर विपरीत तट पर उतरती है और फिर तीन मील चलकर श्री राधा रानी मानसरोवर झील आती है। झील के चारों ओर हरे-भरे पेड़-पौधे यहाँ की सुन्दरता को और बढ़ा देते है।
Radha Rani Maansarovar में श्री राधा जी के विग्रह के साथ-साथ यहाँ श्रीराधाकृष्ण का पटचिन्ह (तस्वीर) भी है जिसमें श्री राधा रानी मान धरे हुए वृन्दावन की ओर से मुख मोड़ बैठी है
और त्रिलोकी नाथ भगवान श्री कृष्ण श्री राधा जी के चरणों को अपने हाथों में लेकर अपनी मधुर-मधुर बातों से श्रीराधा जी को मनाते हुए दिखाई देते है।
Story of Shri Radha Rani Maansarovar Temple, Vrindavan
वृन्दावन के बंसी वट में जब श्री राधा और श्री कृष्ण ने महारास किया उस समय कैलाश से भगवान शिव और माँ पार्वती भी महारास को देखने के लिए आये महारास में गोपी भाव होने के कारण माँ पार्वती तो महारास में प्रवेश कर गयी परन्तु भग्वान शिव को श्रीराधा जी की प्रिय सखियाँ ललिता और विशाखा ने रोक दिया, और भगवान शिव से कहने लगी- कि महारास में केवल गोपियों का आगमन है यह तो गोपियों का महारास है यहां पुरुषों का आना मना है सभी असंख्य गोपियां रात्रि के समय महारास करेंगी। यहां तो केवल कृष्ण जी ही पुरुष हैं।
तब भगवान शिव कहने लगे – मैं बहुत दूर कैलाश से महारास देखने आया हूँ आप कोई ऐसा रास्ता बताए जिससे मुझे भी महारास में प्रवेश मिल सके
तब ललिता और विशाखा सखी कहने लगी – कि आप श्री यमुना महारानी जी से प्रार्थना कीजिये वो आपको महारास में जाने का रास्ता बताएगी। तब भगवान शिव श्री यमुना महारानी से प्रार्थना करने लगे और यमुना जी में डुबकी लगा दी जैसे ही भगवान शिव यमुना जी से डुबकी लगा कर बाहर निकले वैसे ही उनका रूप एक बहुत ही सुन्दर गोपी के रूप में बदल गया और महारास में प्रवेश किया।
महारास में देखा कि जितनी गोपिया हैं उतने ही कृष्ण हैं सभी गोपिकाएँ महारास ने मंत्रमुग्ध थी तो कृष्ण जी ने देखा कि महारास में स्वयं भोलेनाथ आए हुए हैं तभी कृष्ण जी ने राधा जी की गलवहियाँ छोड़ते हुए कहने लगे गोपेश्वरी स्वागतम और बांसुरी बजाते हुए भोलेनाथ के साथ महारास करने लगे भोलेनाथ भी अपने आप को ना रोक सके और धीरे-धीरे तांडव रूप में आ गए और फिर सिर से ओढनी गिर गई और भोलेनाथ की जटाएँ दिखने लगी।
तो सभी गोपीकाएँ व श्रीराधारानी उनके रूप को देखकर चकित रह गई तभी कृष्ण जी के मुख से योगेश्वरी कहना चाहते थे परंतु मुख से गोपेश्वरी निकल गया तभी राधा रानी जी ये सुनकर नाराज़ हो गई और मानसरोवर चली गई और श्री राधा जी की आँखों से अश्रुओं की धारा बहने लगी जिससे श्रीराधा रानी के आसुओं से झील बन गयी जिसे हम आज मानसरोवर के नाम से जानते है । तब भगवान श्री कृष्णा भी श्रीराधा जी के पीछे-पीछे मानसरोवर आ गए और उन्हें मनाने लगे।
तब राधा रानी ने कहा- कान्हा तू तो बड़ा छलिया है और छीनरा है महारास करते हमें छोड़कर दूसरी गोपी के पास चले गए और उसे गोपेश्वरी कहा और हमारा मान गिराया तुम्हें शर्म नहीं आती ?
तभी कृष्ण जी ने कहा- आप जैसा समझ रही हैं वह बात नहीं है वह गोपी कोई और नहीं स्वयं भोले नाथ हैं जो महारास देखने के लिए गोपी रूप बनाकर महारास में आए हैं आप तो यहां पर आ गई। महारास करते-करते तांडव रूप करने लगे और उनके सिर से ओढनी गिर गई यह बात सुनकर राधा रानी मुस्कुरा गई।
Shri Radha Rani Maansarovar Temple Timing-
Hours:
Everyday 6:30am–6:30pm
How To Reach Shri Radha Rani Maansarovar Temple
- वृन्दावन के केशी घाट से नाव द्वारा यमुना जी के दूसरी तरफ से होते हुए लगभग १० की.मी. दुरी पर श्री राधा रानी मानसरोवर है।
- वृन्दावन से सीधे पानीगांव होते हुए भी आप यहां आसानी से पहुंच सकते है।
- आप दिल्ली से यमुना एक्सप्रेस-वे होते हुए वृन्दावन मोड़ से ५ की.मी. दूर है जहाँ आप आसानी से पहुंच सकते है।
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