Sanatan Dharma || world’s oldest civilization explained in hindi
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Sanatan Dharma || world’s oldest civilization explained in hindi
सनातन धर्म विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता है “Sanatan Dharma” सृष्टि की उत्पति के साथ ही शुरू हुआ है या यह भी कह सकते है की इस सृष्टि पर जीवन की शुरुआत से ही या इसकी उत्पत्ति मानव की उत्पत्ति से भी पहले से है।
Meaning Of Sanatan
सनातन “सनातन धर्म” का अर्थ “सना+तन” “ध+रम”। “सना” का अर्थ “श्वास” से “तन”का अर्थ “शरीर” से है। जब मनुष्य जन्म लेता तो वह जब पहली श्वास से इसकी शुरुआत होती है तो इसे सनातन कहते है।
Diffrence Between Sanatan and Hindu Dharma
सनातन धर्म को आज हिंदू धर्म के वैकल्पिक नाम से भी जाना जाता है। वैदिक काल में भारतीय उपमहाद्वीप के धर्म के लिये ‘सनातन धर्म’ नाम मिलता है। ‘सनातन’ का अर्थ है – शाश्वत या ‘हमेशा बना रहने वाला’, अर्थात् जिसका न आदि है न अन्त | जो सदैव सर्वस्व व्याप्त है ।
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सनातन धर्म (sanatan dharma) मूलतः भारतीय धर्म है, जो किसी समय पूरे बृहत्तर भारत (भारतीय उपमहाद्वीप) जो आज के भारत, अफ़ग़ानिस्तान, ईरान इराक, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और श्रीलंका तक व्याप्त रहा है। विभिन्न कारणों से हुए भारी धर्मान्तरण के बाद भी विश्व के इस क्षेत्र की बहुसंख्यक आबादी इसी धर्म में आस्था रखती है।
How old is Sanatan Dharma?
Sanatan Dharma जिसे हिन्दू धर्म अथवा वैदिक धर्म भी कहा जाता है और यह 1960853110 साल का इतिहास हैं। भारत और (आज के पाकिस्तानी क्षेत्र) की सिन्धु घाटी सभ्यता में हिन्दू धर्म के कई चिह्न मिलते हैं। इनमें एक अज्ञात मातृदेवी की मूर्तियाँ, शिव पशुपति जैसे देवता की मुद्राएँ, लिंग, पीपल की पूजा, इत्यादि प्रमुख हैं।
इतिहासकारों के एक दृष्टिकोण के अनुसार इस सभ्यता के अन्त के दौरान मध्य एशिया से एक अन्य जाति का आगमन हुआ, जो स्वयं को आर्य कहते थे और संस्कृत नाम की एक हिन्द यूरोपीय भाषा बोलते थे। एक अन्य दृष्टिकोण के अनुसार सिन्धु घाटी सभ्यता के लोग स्वयं ही आर्य थे और उनका मूलस्थान भारत ही था।
History Of Sanatan Dharma
प्राचीन काल में भारतीय सनातन धर्म में गाणपत्य, शैवदेव, कोटी वैष्णव, शाक्त और सौर नाम के पाँच सम्प्रदाय होते थे। गाणपत्य गणेशकी, वैष्णव विष्णु की, शैवदेव, कोटी शिव की, शाक्त शक्ति की और सौर सूर्य की पूजा आराधना किया करते थे। पर यह मान्यता थी कि सब एक ही सत्य की व्याख्या हैं। यह न केवल ऋग्वेद परन्तु रामायण और महाभारत जैसे लोकप्रिय ग्रन्थों में भी स्पष्ट रूप से कहा गया है। प्रत्येक सम्प्रदाय के समर्थक अपने देवता को दूसरे सम्प्रदायों के देवता से बड़ा समझते थे और इस कारण से उनमें वैमनस्य बना रहता था।
एकता बनाए रखने के उद्देश्य से धर्मगुरुओं ने लोगों को यह शिक्षा देना आरम्भ किया कि सभी देवता समान हैं, विष्णु, शिव और शक्ति आदि देवी-देवता परस्पर एक दूसरे के भी भक्त हैं। उनकी इन शिक्षाओं से तीनों सम्प्रदायों में मेल हुआ और सनातन धर्म की उत्पत्ति हुई। सनातन धर्म में विष्णु, शिव और शक्ति को समान माना गया और तीनों ही सम्प्रदाय के समर्थक इस धर्म को मानने लगे। सनातन धर्म का सारा साहित्य वेद, पुराण, श्रुति, स्मृतियाँ, उपनिषद्, रामायण, महाभारत, गीता आदि संस्कृत भाषा में रचा गया है।
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Later Muslim invasions in India (कालांतर में भारत में मुस्लिम आक्रमण) हो जाने के कारण देवभाषा संस्कृत का पतन होने लग गया तथा सनातन धर्म की अवनति होने लगी। इस स्थिति को सुधारने के लिये विद्वान संत तुलसीदास ने प्रचलित भाषा में धार्मिक साहित्य की रचना करके सनातन धर्म की रक्षा की।
जब औपनिवेशिक ब्रिटिश शासन को ईसाई, मुस्लिम आदि धर्मों के मानने वालों का तुलनात्मक अध्ययन करने के लिये जनगणना करने की आवश्यकता पड़ी तो सनातन शब्द से अपरिचित होने के कारण उन्होंने यहाँ के धर्म का नाम सनातन धर्म के स्थान पर हिंदू धर्म रख दिया।
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It has been changing from time to time to meet the modern challenges in Sanatan
सनातन में आधुनिक चुनौतियों का सामना करने के लिए इसमें समय समय पर बदलाव होते रहे हैं, जैसे कि राजा राम मोहन राय, स्वामी दयानंद, स्वामी विवेकानंद आदि ने सती प्रथा, बाल विवाह, अस्पृश्यता जैसे असुविधाजनक परंपरागत कुरीतियों से असहज महसूस करते रहे।
इन कुरीतियों की जड़ो (धर्मशास्त्रो) में मौजूद उन श्लोको -मंत्रो को “क्षेपक” कहा या फिर इनके अर्थो को बदला और इन्हें त्याज्य घोषित किया तो कई पुरानी परम्पराओं का पुनरुद्धार किया जैसे विधवा विवाह, स्त्री शिक्षा आदि।
यद्यपि आज सनातन का पर्याय हिन्दू है पर सिख, बौद्ध, जैन धर्मावलम्बी भी सनातन धर्म का हिस्सा हैं, क्योंकि बुद्ध भी अपने को सनातनी कहते हैं। यहाँ तक कि नास्तिक जोकि चार्वाक दर्शन को मानते हैं वह भी सनातनी हैं। सनातन धर्मी के लिए किसी विशिष्ट पद्धति, कर्मकांड, वेशभूषा को मानना जरुरी नहीं। बस वह सनातनधर्मी परिवार में जन्मा हो, वेदांत, मीमांसा, चार्वाक, जैन, बौद्ध, आदि किसी भी दर्शन को मानता हो बस उसके सनातनी होने के लिए पर्याप्त है।
सनातन धर्म की गुत्थियों को देखते हुए कई बार इसे कठिन और समझने में मुश्किल धर्म समझा जाता है। हालांकि, सच्चाई तो ऐसी नहीं है, फिर भी इसके इतने आयाम, इतने पहलू हैं कि लोगबाग कई बार इसे लेकर भ्रमित हो जाते हैं। सबसे बड़ा कारण इसका यह कि सनातन धर्म किसी एक दार्शनिक, मनीषा या ऋषि के विचारों की उपज नहीं है, न ही यह किसी ख़ास समय पैदा हुआ। यह तो अनादि काल से प्रवाहमान और विकासमान रहा।
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What is the role of Sanatan Dharma in human life?
जो अपने धर्म की रक्षा करता है, धर्म भी उसकी रक्षा करता है। पूरे विश्व में सनातन धर्म अनादिकाल से चला रहा है। इस धर्म की व्यापकता को कोई नाप नहीं सकता, इस धर्म में भगवान ने अवतार लेकर समय-समय पर धर्म की रक्षा की है।
हमारे ऋषि-मुनियों ने ध्यान और मोक्ष की गहरी अवस्था में ब्रह्म, ब्रह्मांड और आत्मा के रहस्य को जानकर उसे स्पष्ट तौर पर व्यक्त किया था। वेदों में ही सर्वप्रथम ब्रह्म और ब्रह्मांड के रहस्य पर से पर्दा हटाकर ‘मोक्ष’ की धारणा को प्रतिपादित कर उसके महत्व को समझाया गया था। मोक्ष के बगैर आत्मा की कोई गति नहीं इसीलिए ऋषियों ने मोक्ष के मार्ग को ही सनातन मार्ग माना है।
Status of Sanatan Dharma in today’s India-
ये जो आज भारत में सनातन धर्म की स्थति है उसे हम हमारी बिडम्बना कहे या दुर्भाग्य जो आज हम सनातनी लोग जिन्होंने विश्व के सर्व प्रथम धर्म ( सबसे प्राचीन धर्म ) में जन्म लिया। उसे ही आज हम भूलते जा रहे हैं, और पश्चिम की सभ्यताओं की ओर आकर्षित होते जा रहे है।
इसके लिए कोई और नहीं हम खुद जिम्मेदार है क्युकी हम अपने बच्चों को आज ना तो गीता का उपदेश दे पा रहे है और ना ही उन्हें अपने वास्त्विक धर्म का ज्ञान दे पा रहे है। यहाँ तक की जब हम अपने से बड़ों से मिलने पर उनके पैरों को स्पर्श करके जो आदर सम्मान दिया करते थे।
वो आज देखने को नहीं मिलता राम-राम या राधे-राधे की जगह हम हाय और हेलो बोलने लगे है, क्युकी हम राम-राम या राधे-राधे कहने में शर्मिंदगी महसूस करते है क्युकी हम पढ़े लिखे लोग है जो अपनी संस्कृति को छुपाने में अपने आप को विकसित महसूस करते है। जिन पश्चिम की सभ्यताओं की और हम आकर्षित होते जा रहे है वो पश्चिमी देश भी आज हमारी सनातन धर्म को अपनाते जा रहे है।
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Increasing popularity of Sanatan Dharma in the world today-
हम बात कर रहे है दुनिया के सबसे विकशित देश अमेरिका के बारे में जहां दिन प्रतिदिन सनातन धर्म बड़ी तेज़ी से फैल रहा है भले ही हमारे देश में हमारी अपनी संस्कृति को लेकर बबाल होता हो सबसे शक्तिशाली देशों में शुमार अमेरिका, रूस जैसे देशो में दिन प्रतिदिन भारतीय संस्कृति और हिन्दू धर्म को अपना रहे है अमेरिकन और रसियन लोगों का रुझान हिन्दू धर्म की ओर बढ़ रहा है ऐसे में सवाल उठ रहा है आने वाले समय में पूरा अमेरिका हिन्दू राष्ट्र में परिवर्तित हो जायेगा ?
विश्व के सबसे पुराने धर्मो में से एक हिन्दू धर्म जिसके विचारों और संस्कृति से प्रभाभित होकर समूचा अमेरिका हिंदुत्व की ओर बढ़ता जा रहा है। हर साल लाखों की संख्या में अमेरिकन लोग हिन्दू धर्म अपना रहे है ऐसा माना जाता है भारत के अलावा हिन्दू धर्म का कोई केंद्र है तो वो है अमेरिका।
![अमेरिका में हिंदू धर्म](https://www.brijbhakti.com/wp-content/uploads/2022/01/20220106185614-1-300x200.jpg)
अमेरिका में हिंदू धर्म
जी है जिस अमेरिका में पहले हिन्दू धर्म का मजाक बनाया जाता था आज अमेरिका की उसी जमीन पर योग सिखाया जा रहा है सूर्य नमस्कार हो रहा है। गायत्री मंत्र से लेकर महामृत्युंजय मंत्र का जाप हो रहा है हिन्दू परम्पराओं से प्रभाबित होकर खुलकर हिन्दू धर्म अपनाया जा रह है आलम यह है कि अमेरिकी लोगो से लेकर इशाई लोग हाथो में कलावा बांध रहे है।
हिन्दू परम्पराओं के अनुसार अपनों का श्राद्ध कर रहे है अमेरिका में आम लोगो से लेकर बड़ी-बड़ी शख्शियत हिन्दू धर्म को अपना रहे है ऐसा इसलिए कहा जा रहा है। फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग ने अपनी सफलता के पीछे नीम करोली बाबा का हाथ बताया था। तो वही अमेरिकी संसद में श्री गीता पर हाथ रख कर शपत दी जाती है। और वही दूसरी ओर हॉलीवुड की कई सख्शियत है। जो अपनी जिंदगी में हिंदुत्व का रंग भर रही है हिंदुत्व के अस्तित्व को देखते हुए अमेरिका में मंदिरों और मठो का निर्माण किया जा रहा है यहूदी और ईसाइयों में सबसे ज्यादा प्रभाव देखने को मिल रहा है।
![mark zuckerberg and steve jobs](https://www.brijbhakti.com/wp-content/uploads/2022/01/Revealed-Why-Ma8903-1-300x202.jpg)
Facebook CEO Mark Zuckerberg (फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग) भी लोगो की किस्मत बनाने वाले नीम करोली बाबा के आगे नतमस्तक होने के लिए नैनीताल गए थे। वो भी एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स की सलाह पर स्टीव जॉब्स ने श्री हनुमान जी के रूप में बाबा नीम करोली आश्रम जाने का रास्ता दिखाया था |
हाल ही में हॉलीवुड के महान अभिनेता सलवेस्टर स्टॉलिन भारत में अपने बेटे का हिन्दू परम्पराओं से श्राद्ध करने आये थे इसी प्रकार दक्षिण अफ्रीका के खिलाडी जोंटी रूट्स मन की शांति के लिए हिन्दू मंदिरो में यज्ञ-हवन किया।
Brijbhakti.com और Brij Bhakti Youtube Channel आपको वृंदावन के सभी मंदिरों के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहा है जो भगवान कृष्ण और उनकी लीलाओं से निकटता से जुड़े हुए हैं। हमारा एकमात्र उद्देश्य आपको पवित्र भूमि के हर हिस्से का आनंद लेने देना है, और ऐसा करने में, हम और हमारी टीम आपको वृंदावन के सर्वश्रेष्ठ के बारे में सूचित करने के लिए तैयार हैं।
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