18 Famous Ghats in vrindavan || विलुप्त होने के कगार पर वृन्दावन के घाट
![most famous ghats in vrindavan](https://www.brijbhakti.com/wp-content/uploads/2021/12/vrindavan-india-july-14-2015-krishna-temple-kesi-ghat-on-the-banks-of-the-yamuna-river-in-the-town-of-vrindavan_ranx7_3yg_thumbnail-1080_01-min-300x169.jpg)
भगवान श्रीकृष्ण की ह्रदय स्थली वृंदावन की बात चले और यमुना का जिक्र न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। वृंदावन में भगवान की लीला स्थलियों के दर्शन का भी खास महत्व है। यमुना तट की लीलाओं में कालीय मर्दन, चीरहरण लीला, केशी वध लीला प्रमुख हैं।
यही कारण है कि राजे-रजवाड़ों ने इन घाटों के महत्व को देखते हुए अपने रियासत काल में पक्के घाटों का निर्माण कराया। अब विकास के नाम पर कंक्रीट के वन में तब्दील हो चुके वृंदावन में भगवान की लीलाओं का बखान करने वाले 38 घाटों में से अधिकतर घाट अपना अस्तित्व भी खो चुके हैं। जो घाट बचे हैं, वो अपने अस्तित्व से जूझ रहे हैं। केसी घाट, अक्रूर घाट को छोड़ दें तो अधिकांश घाट अब यमुना से बहुत दूर हो गए हैं।
1.Shri Varaha Ghat
![Shri Varaha Ghat vrindavan](https://www.brijbhakti.com/wp-content/uploads/2021/12/varah-ghat-min-300x154.jpg)
वराह अवतार भगवान विष्णु का ही अवतार है जिसे दशावतार रूप में तीसरे अवतार के रूप में भी दर्शाया गया है। वृंदावन में यमुना नदी के दक्षिण-पश्चिमी तट पर वराह घाट मंदिर स्थापित है ।
सतयुग युग के दौरान, एक राक्षस ने पृथ्वी को अपनी कक्षा से हटाकर ब्रह्मांड के तल की गहराई में छिपा लिया था उस दौरान भगवान विष्णु ने जंगली सूअर के रूप में वराह अवतार लिया और उस राक्षस को मार कर पाताल से पृथ्वी को अपनी सूड़ पर उठाया और वापस अपनी कक्षा में स्थापित किया और वृन्दावन के इसी स्थान पर विश्राम किया था |वृंदावन के दक्षिण पश्चिम दिशा में स्थित प्राचीन वाराह घाट पर भगवान वाराह देव विराजमान हैं। यहीं पास ही गौतम मुनि का आश्रम है।
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2. Kaliya Dah Ghat
![प्राचीन कालिया दह घाट, वृंदावन | Ancient Kaliya Dah Ghat, Vr](https://www.brijbhakti.com/wp-content/uploads/2021/09/kaliya-dah1-300x225.jpg)
कालिया दमन घाट वृंदावन के सभी घाटों में सबसे महत्वपूर्ण और पवित्रतम घाटों में से एक है। इसी घाट पर कृष्ण के जीवन और काल से जुड़ी एक बड़ी ऐतिहासिक घटना घटी थी। भगवान श्रीकृष्ण जब अपने सखाओं के साथ यमुना किनारे खेल रहे थे तो उनकी गेंद यमुना में पहुंच गई। उस समय यमुना में कालीय नाग रहता था जिसके कारण यमुना जल विषैला हो गया था।
कोई भी यहा यमुना में नहीं उतरता था। भगवान को तो अपनी लीला करनी थी। गेंद लाने के बहाने यमुना में छलाग लगा दी। सखाओं में हड़कंप मच गया। मैया यशोदा और नंदबाबा बेचैन थे। मगर कुछ ही देर में भगवान श्रीकृष्ण ने कालीय मर्दन कर उसे यमुना से चले जाने पर मजबूर कर दिया और कालीय नाग के फन पर नृत्य करते हुए यमुना से बाहर निकले। तब से इस घाट का नाम कालीय मर्दन घाट पड़ गया। यह वाराह घाट से लगभग आधे मील उत्तर में अवस्थित है।
3.Soorya Ghat
![sooraj ghat vrindavan](https://www.brijbhakti.com/wp-content/uploads/2021/12/vrindavan-history-min-300x226.jpg)
इस घाट को सूरज या आदित्य घाट के नाम से जाना जाता है। श्रीकृष्ण को कालीय नाग दमन के बाद ठंड लगने लगी। तब भगवान सूर्यदेव ने इसी घाट पर प्रखर तेज से श्रीकृष्ण को गर्माहट दी थी ।
तब श्रीकृष्ण को कुछ गर्माहट मिली और उनको पसीना आने लगा। यहां श्रीकृष्ण का पसीना यमुना में जाकर मिल गया। तब से मान्यता है कि इस घाट पर स्नान करने वालों के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।
पाच सौ साल पहले सनातन गोस्वामी इसी टीले पर ठा. मदन मोहन जी की सेवा करते थे। मंदिर अभी भी इसी आदित्य टीले पर बना हुआ है।
4. Bihar Ghat
युगल घाट के उत्तर में श्री बिहार घाट स्थित है। घाट के बारे में उल्लेख है कि जब भगवान श्रीकृष्ण और बलराम ग्वाल-वालों के साथ यमुना किनारे बैठकर भोजन करते थे। इस घाट पर कभी सखाओं के साथ तथा कभी सखियों के साथ भगवान श्रीकृष्ण और राधाजी ने अनेक प्रकार की लीलाएं कीं, इसीलिए इस घाट का नाम बिहार घाट पड़ गया।
5. Yugal Ghat
![Yugal Ghat Vrindavan](https://www.brijbhakti.com/wp-content/uploads/2021/12/Keshi-Ghat-Ghats-of-Vrindavan-min-300x193.jpg)
युगलघाट- सूर्य घाट के उत्तर में युगलघाट स्थित है। इस घाट के ऊपर श्री युगलबिहारी का प्राचीन मन्दिर शिखरविहीन अवस्था में पड़ा हुआ है। वह भी इसी प्रकार शिखरविहीन अवस्था में पड़ा हुआ है।
मान्यता है कि यहा गोपियों ने भगवान के प्रेम में उन्मुक्त होकर लीला गायन किया, इसलिए इस घाट का नाम युगल घाट पड़ गया। यहा स्थित युगल बिहारी मंदिर का निर्माण 1680 में राजा प्रतापादित्य के चाचा बसंत राय ने कराया। ग्राउस की पुस्तक में इस घाट के निर्माण का उल्लेख हरिदास व गोविंद दास ठाकुर के नाम से भी मिलता है।
6. Aadher Ghat
घाट के उपवन में कृष्ण और गोपिया आख मिचौनी की लीला करते थे। अर्थात् गोपियों के अपने हाथों से अपने नेत्रों को ढक लेने पर श्रीकृष्ण आसपास कहीं छिप जाते और गोपिया उन्हें खोजती थीं। कभी राधाजी इसी प्रकार छिप जातीं और सभी उनको खोजते थे। इसीलिए इस घाट का नाम आंधेर घाट पड़ गया।
Shri Banke Bihari Temple Vrindavan
![Imlitala ghat in Vrindavan](https://www.brijbhakti.com/wp-content/uploads/2021/10/Imlitala-Temple-in-Vrindavan-300x167.jpg)
7. Imli Tala Ghat
आधेरघाट से आगे उत्तर दिशा में इमली तला घाट स्थित है। मान्यता है कि यहाँ स्थित इमली का वृक्ष श्रीकृष्ण के समय का है, जिसके नीचे चैतन्य महाप्रभु ने वृन्दावन आने के समय यही सर्व प्रथम विश्राम किया था और अपने वृंदावन वास काल में हरिनाम जप करते हुए श्रीं कृष्ण की लीला स्थलियों का भान हुआ था । इसे गौरांग घाट भी कहते हैं।
![](https://www.brijbhakti.com/wp-content/uploads/2021/12/Shringar-vata_n-min-300x225.jpg)
8. Shringar Ghat
इमलीतला घाट से पूर्व दिशा में यमुना तट पर श्रृंगार वट घाट स्थित है। जहा प्राचीन इमली का वृक्ष है। यहा हर एक प्रकार के हार-श्रृंगार का वृक्ष भी श्री कृष्णा के समय काल हुआ करते थे । इसके नीचे भगवान श्रीकृष्ण ने राधाजी का केश सिंगार ( बालों का श्रृंगार ) किया था ।
यहा आज भी मूलवेदी के दर्शन होते हैं, इसीलिए इस घाट का नाम श्रृंगार वट घाट पड़ गया। वृन्दावन आने के समय श्रीनित्यानन्द जी ने इस घाट में स्नान किया था और कुछ दिनों तक इसी घाट के ऊपर श्रृंगार वट पर निवास किया था।
![govind ghat vrindavan](https://www.brijbhakti.com/wp-content/uploads/2021/12/govind-ghat-vrindavan-min-300x193.jpg)
9. Govind Ghat
श्रृंगार घाट के पास उत्तर में यह घाट है। भगवान की लीलाओं में उल्लेख है कि कामदेव के मन को भी विचलित करने वाले कृष्ण रासमण्डल से अन्तर्धान हो गये और गोपियों को व्याकुल अवस्था में देख पुनः यहीं प्रकट हो गए।
तभी से इसका नाम गोविंद घाट पड़ गया। गोस्वामी श्रीहित हरिवंश ने यहा रासमंडल की स्थापना की। आज भी यहा पूरे साल रासमंडल में रास लीलाएं होती हैं।
![Cheer ghat vrindavan](https://www.brijbhakti.com/wp-content/uploads/2021/12/Cheer-Ghat-Vrindavan-min-300x214.jpg)
10. Cheer Ghat
श्रृंगारवट घाट से लगा हुआ है चीरघाट। कहा जाता है कि एक बार गोपियाँ यमुना जी में निर्वस्त्र हो कर स्नान कर रही थी और भगवान श्रीकृष्ण यहा स्थित कदंब वृक्ष पर गोपियों के वस्त्रों को लेकर चढ़ गए थे ।
भगवान गोपियों को संदेश देना चाहते थे कि नदी, सरोवर में प्रवेश कर नग्न स्नान करने से वरुण दोष लगता है। गोपियों के बहाने श्रीकृष्ण ने दुनिया को ये संदेश दिया। गोपियों ने कार्तिक मास में एक महीने तक कात्यायनी व्रत भी यहीं किया था। आज यहा नृत्यगोपाल का मंदिर स्थित है। साथ ही जब श्री कृष्ण ने केशी दैत्य का वध करने के पश्चात यहीं पर बैठकर विश्राम किया था। इसलिए इस घाट का दूसरा नाम चैन घाट भी है। इसके निकट ही झाडूमण्डल दर्शनीय है।
11. Bhramar Ghat
चीरघाट के उत्तर में यह घाट है। एक बार राधाजी भगवान श्रीकृष्ण के विरह में डूबी हुई थी तो भगवान श्रीकृष्ण ने एक भ्रमर को दूत बनाकर उनके पास भेजा। जो बार-बार राधाजी के चरणों के चक्कर काटता देख राधाजी समझ गयी और भ्रमर को भगाते हुए कहने लगी कि तू जिसने भेजा है, उसकी बात मत कर और उससे कहना की वो स्वयं आये तभी में बात करुँगी । इस लीला से इस घाट का नाम भ्रमर घाट पड़ गया।
दूसरी मान्यता यह भी है कि जब प्रिया-प्रियतम यहाँ क्रीड़ा विलास करते थे, उस समय दोनों के अंग सौरभ से भँवरे उन्मत्त होकर गुंजार करने लगते थे। भ्रमरों के कारण इस घाट का नाम भ्रमरघाट है।
Vrindavan Ki Mahima, Vrindavan History
![kesi ghat](https://www.brijbhakti.com/wp-content/uploads/2021/08/not_a_photographer___-___CPaID1jnXoo___-min-4-240x300.jpg)
12. Kesi Ghat
वृंदावन के उत्तर-पश्चिम दिशा में तथा भ्रमर घाट के समीप स्थित है यह केशी घाट । आज यह घाट नगर के प्रमुख घाट के रूप में है और अपना अस्तित्व बचा पाने में सक्षम है। केशी घाट के बारे में उल्लेख है कि कंस ने भगवान श्रीकृष्ण का वध करने के लिए केशी नामक दानव को वृन्दावन भेजा ।
तब वह राक्षस घोड़े के रूप में यमुना किनारे पहुंचा। मगर भगवान श्रीकृष्ण ने उसे पहचान लिया और उसका वध कर दिया। तभी से इस घाट का नाम केशी घाट पड़ गया। कहा जाता है कि यहां पिंड दान करने से गया में किए गए पिंडदान का फल मिलता है।
13. Dheer Sameer Ghat
केशीघाट से आगे पूर्व दिशा में धीर समीर घाट है। यहीं पर श्रीकृष्ण की राधाजी के प्रति व्याकुल मिलन की भावना देखकर वृंदा देवी बेहोश हो गईं। भगवान श्रीकृष्ण की उत्कंठा देख राधाजी भी तुरंत वृंदा देवी के साथ आती हैं और प्रिया-प्रियतम मिलन देख सखिया प्रसन्न हो जाती हैं, इसीलिए इस घाट का नाम धीर समीर रखा गया। श्रीराधाकृष्ण युगल का मिलन देखकर उनकी सेवा के लिए समीर (वायु) भी सुशीतल होकर धीरे-धीरे प्रवाहित होने लगा था।
14. Vansi Vat Ghat
भगवान श्रीकृष्ण ने राधा रानी जी व गोपियों संग जिस भूमि पर यमुना किनारे महारास किया था तभी से इस घाट का नाम वंशीवट पड़ गया। चूंकि भगवान की बासुरी से निकले स्वरों से मुग्ध होकर राधाजी व गोपिया रातभर महारास करती रहीं, इसलिए वंशीवट आज भी भगवान के महारास की गाथा गा रहा है।
![jagannath ghat vrindavan](https://www.brijbhakti.com/wp-content/uploads/2021/12/12_07_2021-11mth_1_11072021_453_21822828_569-min-300x200.jpg)
15. Jagannath Ghat
जिस समय पुरी से चलकर भगवान जगन्नाथ जी का रथ पहली बार वृन्दावन के जिस स्थान पर रुका था आज उसी घाट को हम जगन्नाथ घाट के नाम से जानते है, वहीं जगन्नाथ मंदिर स्थापित हो गया। इस घाट को जगन्नाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है।
15. Radha Bagh Ghat
वृंदावन के पूर्व में स्थित राधाघाट के बारे में उललेख है कि कि रास रचाते हुए भगवान श्रीकृष्ण यहा से राधाजी को लेकर अंतध्र्यान हो गए। तभी से इसका नाम राधा घाट पड़ गया। यह घाट राधा बाग मोर के साथ-साथ अन्य पक्षियों का झुंड में देखा यहाँ देखा जा सकता है और शायद मानों जैसे लगता है कि दिव्य युगल राधा कृष्ण की प्रशंसा में मधुर स्वरों में सारे पशु-पक्षी उलझे हुए हैं।
16. Pani Ghat
इस घाट का नाम पाणि घाट है। इसे अब पानी घाट के नाम से जाना जाता है। उल्लेख व मान्यता है कि एक बार दुर्वासा मुनि को भोजन कराने को गोपिया यमुना पार जा रही थीं। तब गोपियों ने श्रीकृष्ण से यमुना पार जाने का उपाय पूछा तो भगवान ने कहा कि यमुना से कह दो कि हमने अखंड ब्रह्मचर्य का पालन किया है, लिहाजा उस तप के बल से रास्ता दे दो।
गोपियों ने हंसते हुए ऐसे ही प्रार्थना कर दी और यमुनाजी खाली हो गईं, गोपिया पार चली गईं। शाम को जब गोपिया वापस आईं तो उन्होंने दुर्वासा मुनि से प्रश्न किया। मुनि के बताए ज्ञान के बाद गोपिया पुन लौट आईं और यमुना भी अपने रूप में आ गई। तब से इस घाट का नाम पानी घाट पड़ गया।
17.Aadi Badri Ghat
पानीघाट से दक्षिण में यह घाट स्थित है। उल्लेख है कि एक बार बाबा नंद और मा यशोदा ने चार धाम दर्शन की इच्छा जताई तो भगवान श्रीकृष्ण ने इसी घाट पर आदि बद्रीनाथ धाम के दर्शन उन्हें कराए। तभी से इस घाट का नाम आदि बद्री घाट पड़ गया।
18. Raj Ghat
आदि बद्रीघाट से आगे दक्षिण में राजघाट है। इसी के सहारे राजपुर गाँव बसा है। ब्रज विहार लीला के रचनाकार हरिलाल लिखते हैं कि इसी घाट पर श्रीकृष्ण ने दान लीला के समय गोपियों से दूध, दही दान लेकर नाविक बनकर गोपियों को यमुना पार किया था। भगवान श्रीकृष्ण इसी घाट पर नाविक बनकर राजकर वसूली के बहाने खड़े रहते थे। इसलिए इस घाट का नाम राजघाट पड़ गया।