Raval – Radha Rani Birth Place
Raval – Radha Rani Birth Place
Raval – Radha Rani Birth Place
श्रीराधारानी जी का जन्म स्थान Raval (रावल) गांव माना जाता है। इनके पिता का नाम श्री ब्रषभानु और माता का नाम कीर्ति था पूर्वजन्म में कीर्ति माता का नाम कलावती था।
Raval – Radha Rani Birth Story
एक समय की बात है , कीर्ति माता प्रतिदिन की भांति भोर काल में श्री यमुनाजी में स्नान करके पूजा – पाठ करती थी। और श्रीयमुना जी से कहती थी कि हे ! यमुना मईया मुझे संतान दे दो।
कालांतर के बाद एक दिन जब कीर्ति माता स्नान करके देखती है कि एक कमल पुष्प यमुना नदी में तैरता दिखाई दे रहा था।
वृन्दावन की महिमा जानने के लिए क्लिक करे
उस कमल के पुष्प के चारों ओर एक अनोखा प्रकाश जग मगाता हुआ सोने जैसी चम – चमाहट दे रहा था , तब कीर्ति माता डरने लगी धीरे – धीरे वह बहता हुआ उनके निकट आ पहुँचा।
जैसे – जैसे प्रातः होने लगी वैसे – वैसे ही सूर्य नारायण जी की किरण उस फूल पर पड़ी फूल खिल उठा , उस प्रकाश की चमक हीरे से भी कोट कोटी ज्यादा थी पूरा बृज मंडल बिजली के समान चमक गया तो देखा कि उसमें एक चंद्रमा के समान एक सुंदर छोटी सी कन्या थी।
Raval – Radha Rani Birth Place
जसे देखने के बाद यमुना मईया प्रकट होकर कीर्ति माता से कहने लगी आप प्रतिदिन संतान प्राप्ति का वर माँगती थी। यह पुत्री आपके लिए आई है। यह वही पुत्री है , राधा जी है , पूर्व जन्म के फल के अनुसार राधा जी प्रकट भई।
यह भी देखें: श्री पागल बाबा मंदिर
कीर्ति माता अत्यंत खुश हुई , और कन्या को लेकर अपने महल पहुंची और ब्रषभानु जी को बताया कि “मुझे इस प्रकार कमल के फूल पर यह कन्या मिली , बहती हुई धारा के विपरीत आयी , इसलिए इनका नाम राधा रख दिया”। तब ब्रषभानु जी बहुत खुश हुए और सभी जगह (बृज) में ढिढोरा पिटवा दिया कि उनके पुत्री हुई है। यह बात सुनकर सभी बृजवासी अत्यन्त प्रसन्न हुए।
दूसरी ओर मथुरा में ग्यारह महीने उपरान्त Shri Krishna was born (श्रीकृष्ण भगवान का जन्म हुआ) , उसके बाद जब वह गोकुल आ गए , तब नंदबाबा ने अपने गुप्तचरों से Raval (रावल) में ब्रषभानु जी को खबर करवाई कि हमारे यहाँ पुत्र का जन्म हुआ है।
कंस के भय के कारण ज्यादा बड़ा उत्सव न रखकर नंदबाबा ने अपने निज प्रेमियों को निमंत्रण भेजा। तब कंस ने बृज में नवजात शिशुओं को मारने का ऐलान कर रखा था।
निमंत्रण में कुछ बृजवासी आये और तभी ब्रषभानु जी कीर्ति माता अपनी पुत्री राधाजी को लेकर नंदबाबा के घर गोकुल पहुँची। उस समय राधाजी की अवस्था साढ़े ग्यारह महीने थी , और कृष्ण कृष्ण जन्म उत्सव का महोत्सव मनाया जा रहा था।
बृषभान कीर्तिजी , राधाजी को लेकर और अन्य बृजवासी गोकुल आये तो देखा नंदबाबा के आँगन में पालने पर कृष्ण भगवान झूल रहे थे , और कीर्ति माता ने अपनी राधाजी को बिठा दिया। तभी एक-दूसरे के दर्शन से यह जुगल जोड़ी बन गई।
यह भी देखें: सेवा कुँज
Radharani left Raval and went to Barsana
कुछ समय के बाद कंस ने अपने असुरों क भेजकर गोकुल में भय प्रकट कर दिया कभी शकटासुर को तो कभी पूतना को भेजकर गोकुल वासियो को परेशान करने लगा। तभी नंदबाबा और बृषभान जी आपस में वार्ता करी कि इस कंस से कैसे छुटकारा पावें ?
तभी बृषभान जी रावल छोड़कर वृन्दावन के ब्रम्हाचल पर्वत पर अपना स्थान बना दिया जो की वर्तमान में Barsana (बरसाना) गाँव के नाम से जाना जाता है। यह प्राचीन समय में वृन्दावन में आता था और दूसरी ओर नंदबाबा ने गोकुल को छोड़कर अपने परिवार सहित नंदेश्वर पर्वत पर अपना स्थान बना लिया, जो की वर्तमान में Nandgav (नंदगाँव) के नाम से जाना जाता है।
यह स्थान भी बृज में होने के कारण वृन्दावन के घने वन में स्थित था। यह रावल गांव देखने में छोटा लगता है, परन्तु श्रीराधाजी के जन्म स्थली के कारण बृज में विख्यात है और विश्व में भी विख्यात है।
यह बृषभान जी का पैतृक गाँव है वैसे तो बृषभान जी राजा सुरभानु के पुत्र कहलाते है और कीर्ति माता राजा भंगध की बेटी कहलाती हैं इनकी शादी श्री गंगाचार्य जी के सहयोग से हुई थी।
यह भी देखें: गरुण गोविन्द जी मंदिर, वृन्दावन
How did Radharani appear ?
इनके रावल से चले जाने के बाद तीन सौ वर्ष पूर्व Parmanand Vyaas (परमानन्द व्यास जी) ने तपस्या की और उन्हें स्वप्न हुआ कि “एक करील के झाड़ के नीचे श्री राधारानी का विग्रह लुप्त है, जो विग्रह आप दर्शन करेंगे वह स्वयं प्रकट विग्रह है”।
तभी से परमानंद व्यास जी ने विग्रह को निकाल कर सेवा अर्चना करी और धीरे-धीरे उनके वंशज कुलवंशी आज भी सेवायत है। यहाँ राधाष्टमी के दिन उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है तथा हजारों यात्री साथ में भजन कीर्तन होते है।
यह भी देखें: राधारानी मंदिर, बरसाना
How to reached Raval ?
वृन्दावन से रावल की दूरी लगभग 17 कि.मी. है आप वृन्दावन से बाइक या अपनी कार से पानीगांव से लक्ष्मीनगर होते हुए रावल पहुँच सकते हैं ।
मथुरा से रावल की दूरी मात्र 9 कि.मी. है आप मथुरा से बाइक या अपनी कार से या बस के रस्ते रावल पहुँच सकते हैं।
“राधे राधे”
Brijbhakti.com और Brij Bhakti Youtube Channel आपको वृंदावन के सभी मंदिरों के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहा है जो भगवान कृष्ण और उनकी लीलाओं से निकटता से जुड़े हुए हैं। हमारा एकमात्र उद्देश्य आपको पवित्र भूमि के हर हिस्से का आनंद लेने देना है, और ऐसा करने में, हम और हमारी टीम आपको वृंदावन के सर्वश्रेष्ठ के बारे में सूचित करने के लिए तैयार हैं!