Shri Pagal Baba Temple, Vrindavan (श्री पागल बाबा मंदिर, वृन्दावन)
Shri Pagal Baba Temple, Vrindavan
Shri Pagal Baba Temple, Vrindavan
यह मंदिर पागल बाबा के नाम से जाना जाता है | जो इस मंदिर का नाम सुनता है , चकित रह जाता है | यह मंदिर मथुरा जंक्शन से १० कि.मी. और वृन्दावन से से ३ कि.मी. की दूरी पर है |
Who Was Pagal Baba (पागल बाबा कौन थे)
श्री परम पूज्य संत शिरोमणि श्रीमद्द लीला नन्द ठाकुर जी (पागल बाबा) महाराज का जन्म उच्च ब्राम्हण कुल में हुआ था | रतनगंज तगाईल जिला मैमन सिंह पूर्वी बंगाल में हुआ था | इनके पिता का नाम श्री कालीचरण चक्रवर्ती तथा माता का नाम अन्नपूर्णा देवी था |
इनकी पत्नी का नाम सुदेवी था वह भी बड़ी सौभाग्यशाली व आदर्शवादी और पवित्रता की देवी थी | बाबा की भागवत गीता व तपस्या के प्रति विश्वास को बढ़ावा देने का श्रय माता श्री सुदेवी जी को दिया जाता है | मथुरा – वृन्दावन आने से पहले के समय से भी बाबा जी ने भगवान के प्रति कई राज्यों में आश्रम , विद्यालय, चिकित्सालय , व अनाथ आश्रम बनवाये थे , और मानवता दिखते हुए महान पुरुष कहलाये |
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How did the name Pagal Baba get (पागल बाबा नाम कैसे पड़ा ?)
कालांतर के बाद सन्न 1964 में बाबा श्री लीलानंद ठाकुर जी का मन श्री कृष्ण जी की जन्मभूमि व भगवान की लीला स्थली वृन्दावन की ओर आकर्षित हुआ |
Shri Pagal Baba Temple, Vrindavan
श्री बाबाजी ने आकर समस्त बृजभूमि का भ्रमण किया और उसी समय भक्ति रस बहता देखकर भाव विभोर हो गए | और यही भक्ति करने का निश्च्य किया , और मथुरा – वृन्दावन के बीच जंगलो में अपनी भक्ति करने का स्थान बना लिया | और अपने आप को भगवान के लिए समर्पित कर दिया | कुछ समय बाद बाबा बृजवासियों और अन्य भक्तो से कहने लगे की में इस आश्रम में विशाल मंदिर बनवाऊंगा , जो की बृज में विख्यात मंदिर कहलायेगा |
तब ब्रिजवासी कहते है कि बाबा के पास है तो कुछ भी नहीं परन्तु कहते है कि इतना बड़ा मंडी बनवाउंगा | और बाबा को पागल बाबा के नाम से पुकारने और तभी से बाबा को पागल बाबा के नाम से जाना जाने लगा |लगे |
Shri Pagal Baba Temple, Vrindavan
बाबा तो भगवान की भक्ति और उनके प्यार में पागल होकर बात कहते थे | भगवान के लिए सब कुछ न्योछाबर किया जब बाबा ने भक्ति की तथा भक्ति से शक्ति मिली , उस भक्ति के प्रमाण दुनिया को दिखलाये
सन्न 1969 में बाबाश्री को ऐसी प्रेरणा हुई की आगरा के ताजमहल देखने के लिए देश – विदेश से लाखों यात्री आते है | भगवान कृष्णजी की लीलाओं के स्थान को देखने के लिए पर्यटकों का ध्यान इस तरफ नहीं आता है |
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पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करने क लिए बाबाश्री ने मथुरा – वृन्दावन के बीच एक सफेद संगेमरमर के पत्थर का नौ मंज़िल का विशाल मंदिर बनवाया | जिसने भगवान श्रीकृष्ण जी व रामचंद्र ज की लीलाओ को विधुत चलित झांकिया देखने को मिलती है | तथा हर मंज़िल पर अलग – अलग देवी देवताओं की मुर्तिया स्तापित है | मंदिर की साफ़ सफाई विशेष ध्यान दिया जाता है | मंदिर क एक तरफ (श्रीललानन्द ठाकुर जी) की समाधि स्थल है |
श्रीबाबाजी का देहावसान 24 जुलाई 1980 को दुर्भाग्य पूर्ण क्रूर रात्रि की जब जब सैकड़ों लोग शोकविहिल का संतप्त मौन शोकाकुल नर , नारियों के बिच बाबाश्री की समाधि की क्रिया समाप्त हुई | इस समाधि स्थल के दर्शन करके यात्री अपने आप को धन्य समझते है |
Shri Pagal Baba Temple, Vrindavan
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