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Mohini Ekadashi 2022: मोहिनी एकादशी व्रत कथा, मोहिनी एकादशी का व्रत करने से पुण्य फल की प्राप्ति और पापों का नाश होता है।

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Mohini Ekadashi
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Mohini Ekadashi 2022: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को श्रेष्ठ माना गया है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। जो इस इस बार गुरुवार, 12 मई को मनाई जायेगी। धार्मिक कथाओं अनुसार इस दिन भगवान विष्णु ने देवताओं के कल्याण के लिए मोहिनी रूप धारण किया था। जानिए किन कारण भगवान हरि को धारण करना पड़ मोहिनी रूप, क्या है इस एकादशी का महत्व ?

Importance of Mohii Ekadashi (मोहिनी एकादशी का महत्व) धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मोहिनी एकादशी का बहुत अधिक महत्व होता है। इस एकादशी का व्रत करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है और पापों का नाश होता है।

इस दिन भगवान विष्णु मोहिनी रूप में प्रकट हुए थे-
धार्मिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के बाद जब अमृत पीने के लिए देवता और दानवों के बीच विवाद छिड़ गया था, तब भगवान विष्णु ने सुंदर नारी का रूप धारण कर देवता और दानवों के बीच में पहुंच गए। विष्णु भगवान के इस रूप से मोहित होकर दानवों ने अमृत का कलश उन्हें सौंप दिया। मोहिनी रूप धारण किए हुए भगवान विष्णु ने सारा अमृत देवताओं को पिला दिया। इससे देवता अमर हो गए। जिस दिन भगवान विष्णु मोहिनी रूप में प्रकट हुए थे उस दिन एकादशी तिथि थी। भगवान विष्णु के इसी मोहिनी रूप की पूजा मोहिनी एकादशी के दिन की जाती है।

भगवान राम ने भी किया था मोहिनी एकादशी का व्रत
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार त्रेता युग में भगवान राम ने अपने गुरु वशिष्ठ मुनि से इस एकादशी के बारे में जाना था। मोहिनी एकादशी का महत्व संसार को बताने के लिए भगवान राम ने भी इस एकादशी व्रत किया था। वहीं द्वापर युग में युधिष्ठिर को इस व्रत को करने की सलाह भगवान श्री कृष्ण ने दी थी।

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ग्रहों का महासंयोग ज्योतिष गणना के अनुसार,मोहिनी एकादशी के दिन चंद्रमा कन्या राशि में प्रवेश करेगा. जबकि शनि कुंभ और गुरु मीन राशि में विराजमान रहेंगे। दो बड़े ग्रह भी स्वराशि में रहेंगे. ग्रहों की विशेष स्थिति से राजयोग के समान योग का निर्माण हो रहा है। दूसरा, मोहिनी एकादशी 12 तारीख को मनाई जाएगी जो कि भगवान विष्णु का प्रिय दिन है।

Mohini Ekadashi Shubh Muhurat

एकादशी तिथि बुधवार, 11 मई 2022 को शाम 7 बजकर 31 मिनट से प्रारंभ होकर गुरुवार, 12 मई 2022 को शाम 6 बजकर 51 मिनट तक रहेगी। इस दौरान आप किसी भी शुभ पहर में भगवान विष्णु या उनके अवतारों की पूजा कर सकते हैं।

Mohini Ekadashi Vrat Katha Hindi Mein

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार युधिष्ठिर ने श्रीहरि भगवान कृष्ण से वैशाख माह में आने वाली एकदाशी के महत्व और इसके बारे में पूछा। युधिष्ठिर के प्रश्न का उत्तर देते हुए श्रीहरि ने कहा ‘हे धर्मपुत्र आज से अनेक वर्षों पूर्व इस एकादशी के विषय में जो कथा वशिष्ठ मुनि ने प्रभु रामचंद्र जी को सुनाई थी उसी का वर्णन मैं करता हूं, ध्यानपूर्वक सुनना’। ये कहकर श्रीहरि ने Mohini Ekadashi व्रत कथा का प्रारंभ किया।

एक बार प्रभु श्री रामचंद्र जी ने गुरु वशिष्ठ मुनि से बड़े ही विनम्रता पूर्वक पूछा, हे मुनिवर आप मुझे कोई ऐसा व्रत बताएं जिसके प्रभाव से समस्त पापों और दुखों से मुक्ति प्राप्त हो सके। भगवान राम को संबोधित करते हुए वशिष्ठ मुनि ने कहा, हे राम आपका प्रिय नाम समस्त प्राणियों के दुखों का नाश करता है लेकिन फिर भी आपने जनकल्याण के लिए ये प्रश्न पूछा है, जो कि प्रशंसनीय है। वशिष्ठ मुनि ने बताया सरस्वती नदी के रमणीय तट पर भद्रावती नाम की नगरी है, जहां चंद्रवंश में उत्पन्न सत्यप्रिज्ञ धृतिमान नामक राजा राज करते थे। उसी नगरी में एक वैश्य रहता था, जो धन्य धान से परिपूर्ण और समृद्धशाली था।

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उसका नाम था धर्मपाल, वह सदा पुण्य कर्मों में ही लगा रहता था। दूसरों के लिए कुआं, मठ बगीचा, पोखरा और घर बनवाया करता था। भगवान श्री विष्णु की भक्ति में वह सदा लीन रहता था, उसके पांच पुत्र थे। सुमना, द्युतिमान, मेधावी, सुकृत व धृष्टबुद्धि, धृष्टबुद्धि पांचवा पुत्र था। लेकिन दुर्भाग्य से उनका पांचवा पुत्र धृष्टबुद्धि अपने नाम के अनुसार ही अत्यंत पापी और दुराचारी था।

वह बड़े बड़े पापों में संलग्न रहता था। वह वेश्याओं से मिलने के लिए लालायित रहता था। उसकी बुद्धि ना तो देवी देवताओं के पूजन में लगती थी और ना ही ब्राम्हणों के सत्कार में, वह अन्याय के मार्ग पर चलकर पिता का धन बर्बाद किया करता था। एक दिन वह एक वैश्या के गले में हांथ डाले चौराहे पर देखा गया। इसे देख पिता ने उसे घर से बाहर निकाल दिया और लोगों ने भी उसका परित्याग कर दिया।

अब वह दिन रात अत्यंत शोक और चिंतित होकर इधर उधर भटकने लगा। एक दिन वह वैशाख के महीने में महर्षि कौण्डिन्य के आश्रम जा पहुंचा। महर्षि कौण्डिन्य गंगा से स्नान करके आए थे। धृष्टबुद्धि मुनिवर कौण्डिन्य के पास गया और हाथ जोड़कर बोला, हे मुनिवर मुझे कोई ऐसा व्रत बताइए जिसके पुण्य प्रभाव से मेरे कष्टों का नाश हो सके और मैं इस असहाय पीड़ा से मुक्त हो सकूं। महर्षि कौडिन्य ने बताया वैशाख के महीने में शुक्ल पक्ष में मोहिनी नामक प्रसिद्ध एकादशी का व्रत करो।

धृष्टबुद्धि ने महर्षि कौण्डिन्य के कथानुसार Mohini Ekadashi मोहिनी एकादशी पर विधि विधान से व्रत किया और उस व्रत के प्रभाव से वह निष्पाप हो गया। तथा अंत में वह दिव्य देह धारण कर गरुण पर सवार होकर विष्णुधाम चला गया।


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