पापमोचिनी एकादशी 2022, पापों से मुक्ति के लिए रखा जाता है पापमोचिनी एकादशी व्रत
Papmochani Ekadashi 2022: चैत्र मास की एकादशी का हिंदू धर्म में बेहद खास माना जाता है। इसे पापमोचिनी एकादशी कहते हैं। मान्यता है कि पापमोचिनी एकादशी व्रत के प्रभाव से भक्त के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इस साल पापमोचिनी एकादशी 28 मार्च दिन बुधवार को है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है, ऐसे में इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
पापमोचिनी एकादशी महत्व- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पापमोचिनी एकादशी का महत्व खुद भगवान श्रीकृ्ष्ण ने अर्जुन को बताया था। भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो व्यक्ति इस व्रत को रखता है, उसके समस्त पाप खत्म हो जाते हैं और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि एकादशी व्रत को विधि-विधान से रखने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
पापमोचनी एकादशी के दिन शुभ मुहूर्त-
- एकादशी तिथि प्रारम्भ – मार्च 27, 2022 को 06:04 शाम बजे
- एकादशी तिथि समाप्त – मार्च 28, 2022 को 04:15 शाम बजे
पारणा टाइम-
- 29 मार्च – 06:15 सुबह से 08:43 सुबह तक
- पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय – 02:38 पी एम
Prem Mandir Vrindavan – प्रेम मन्दिर
पापमोचिनी एकादशी व्रत कथा-
शास्त्रों में वर्णित है कि भगवान कृष्ण ने स्वंय पांडु पुत्र अर्जुन को पापमोचिनी एकादशी व्रत का महत्व बताया था। कहा जाता है राजा मांधाता ने लोमश ऋषि से जब पूछा कि अनजाने में हुए पापों से मुक्ति कैसे हासिल की जाती है? तब लोमश ऋषि ने पापमोचनी एकादशी व्रत का जिक्र करते हुए राजा को एक पौराणिक कथा सुनाई थी। कथा के अनुसार, एक बार च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी वन में तपस्या कर रहे थे। उस समय मंजुघोषा नाम की अप्सरा वहां से गुजर रही थी। तभी उस अप्सरा की नजर मेधावी पर पड़ी और वह मेधावी पर मोहित हो गईं। इसके बाद अप्सरा ने मेधावी को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए ढेरों जतन किए।
मंजुघोषा को ऐसा करते देख कामदेव भी उनकी मदद करने के लिए आ गए। इसके बाद मेधावी मंजुघोषा की ओर आकर्षित हो गए और वह भगवान शिव की तपस्या करना ही भूल गए। समय बीतने के बाद मेधावी को जब अपनी गलती का एहसास हुआ तो उन्होंने मंजुघोषा को दोषी मानते हुए उन्हें पिशाचिनी होने का श्राप दे दिया। जिससे अप्सरा बेहद ही दुखी हुई।
अप्सरा ने तुरंत अपनी गलती की क्षमा मांगी। अप्सरा की क्षमा याचना सुनकर मेधावी ने मंजुघोषा को चैत्र मास की पापमोचनी एकादशी के बारे में बताया। मंजुघोषा ने मेधावी के कहे अनुसार विधिपूर्वक पापमोचनी एकादशी का व्रत किया। पापमोचिनी एकादशी व्रत के पुण्य प्रभाव से उसे सभी पापों से मुक्ति मिल गई। इस व्रत के प्रभाव से मंजुघोषा फिर से अप्सरा बन गई और स्वर्ग में वापस चली गई। मंजुघोषा के बाद मेधावी ने भी पापमोचनी एकादशी का व्रत किया और अपने पापों को दूर कर अपना खोया हुआ तेज पाया था।
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पापमोचिनी एकादशी पूजा विधि-
-एकादशी के दिन सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करके एकादशी व्रत का संकल्प लें।
– उसके बाद घर के मंदिर में पूजा करने से पहले एक वेदी बनाकर उस पर 7 धान (उड़द, मूंग, गेहूं, चना, जौ, चावल और बाजरा) रखें।
– वेदी के ऊपर एक कलश की स्थापना करें और उसमें आम या अशोक के 5 पत्ते लगाएं।
– अब वेदी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर रखें।
– इसके बाद भगवान विष्णु को पीले फूल, ऋतुफल और तुलसी दल समर्पित करें।
– फिर धूप-दीप से विष्णु की आरती उतारें।
– शाम के समय भगवान विष्णु की आरती उतारने के बाद फलाहार ग्रहण करें।
– रात्रि के समय सोए नहीं बल्कि भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करें।
– अगले दिन सुबह किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं और यथा-शक्ति दान-दक्षिणा देकर विदा करें।
– इसके बाद खुद भी भोजन कर व्रत का पारण करें।
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