Shri Hit Premanand Ji Maharaj: 1 Beloved Saint of Vrindavan
Shri Hit Premanand Ji Maharaj: 1 Beloved Saint of Vrindavan
श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज: वृंदावन के प्रिय संत
वृंदावन, भगवान श्रीकृष्ण की लीलास्थली, अनेक महान संतों और आध्यात्मिक गुरुओं की भूमि है। इन्हीं विभूतियों में एक नाम है श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज का। अपनी मधुर कथाओं, सरल स्वभाव, और राधा-कृष्ण के प्रति असीम प्रेम के कारण वह भक्तों के हृदय में एक विशेष स्थान रखते हैं। उनकी सरलता, सेवाभाव, और राधा-कृष्ण के प्रति अपार प्रेम,भक्तों के लिए प्रेरणा का अक्षय स्रोत हैं।
जीवन यात्रा: सांसारिक सुखों से वैराग्य तक
प्रेमानंद महाराज एक कृष्णमार्गी संत हैं. उनका जन्म 1972 में उत्तर प्रदेश के कानपुर के पास अखरी गांव में हुआ था। एक ब्राह्मण परिवार में जन्मे, प्रेमानंद जी महाराज का बचपन का नाम अनिरुद्ध कुमार पांडेय था। आध्यात्मिकता के प्रति झुकाव बचपन से ही था, और मात्र 13 वर्ष की आयु में उन्होंने संन्यास का मार्ग अपना लिया। वाराणसी में साधना करते हुए उन्होंने कठोर तपस्या की और कई वर्षों तक गंगा तट पर भक्ति में लीन रहे।
वृंदावन में वास और आध्यात्मिक उत्कर्ष
कहते हैं कि एक रात स्वप्न में साक्षात राधा रानी ने उन्हें दर्शन दिए और वृंदावन आने का आदेश दिया। भगवान की प्रेरणा से प्रेमानंद जी महाराज (जैसा उनका संन्यास नाम था) वृंदावन आए और यहीं अपना आश्रम ‘श्री हित राधा केली कुंज’ की स्थापना की। वृंदावन की भक्ति-भूमि में उनका आध्यात्मिक व्यक्तित्व और निखरा। उनकी कथाएँ राधा-कृष्ण के प्रेम, भक्ति के मार्ग, और जीवन के सत्य को बड़ी ही सरलता और सहजता से उद्घाटित करती हैं। और जीवन के सत्य बड़ी ही सरलता से भक्तों के हृदय में उतरते हैं।
“राधा-नाम अमृत है, इसको सदा पिया करो”
प्रेमानंद जी महाराज काफ़ी सरलता से भक्ति मार्ग के बारे में समझाते हैं। वह राधा नाम के जप और निस्वार्थ प्रेम पर अत्यंत बल देते हैं। उनका मानना है कि भक्ति में कोई जगह नहीं है दिखावे या बाहरी आडंबर की। सच्ची श्रद्धा और प्रेम ही ईश्वर-प्राप्ति का माध्यम है। उनके द्वारा कही यह चौपाई उनके दर्शन को स्पष्ट
करती है:
राधा-नाम अमृत है, इसको सदा पिया करो।
दुःख के सागर में पड़कर, व्यर्थ ना जिया करो।
भक्ति का सरल मार्ग: Shri Hit Premanand Ji Maharaj
प्रेमानंद जी महाराज की शिक्षाएँ जटिल दर्शन पर आधारित नहीं हैं। वे राधा नाम के जप और भगवान के प्रति समर्पित प्रेम पर ज़ोर देते हैं। उनका मानना है कि भक्ति के मार्ग में दिखावा या बाहरी आडंबर का कोई स्थान नहीं। सच्ची श्रद्धा और निश्छल प्रेम से ही ईश्वर की प्राप्ति होती है।
सामाजिक योगदान
प्रेमानंद जी महाराज का जीवन सिर्फ आध्यात्मिक प्रवचनों तक सीमित नहीं। भक्ति के साथ-साथ, प्रेमानंद जी महाराज सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रहते हैं। उनके आश्रम द्वारा गौशालाओं का संचालन, वृद्धजनों के लिए आश्रम, और निर्धन लोगों के लिए भोजन-वस्त्र जैसी सेवाएँ की जाती हैं।
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वृंदावन में श्रद्धा का केंद्र
वृंदावन में प्रेमानंद जी महाराज अत्यंत श्रद्धेय हैं। उनकी कथाओं को सुनने और उनके दर्शन के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं। उनकी सादगी, प्रेमपूर्ण व्यवहार, और आध्यात्मिक ज्ञान लोगों के हृदयों को छू लेता है। वृंदावन की भक्ति परंपरा में श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज का योगदान अमूल्य है।
वृंदावन में भक्तों के लिए प्रेमानंद जी महाराज केवल एक संत ही नहीं, बल्कि मार्गदर्शक और प्रेरणास्त्रोत हैं। देश-विदेश से लोग उनकी कथाएँ सुनने और उनके दर्शन के लिए आते हैं। उनकी सहजता, प्रेमपूर्ण व्यवहार, और आध्यात्मिक ज्ञान हर किसी के हृदय में स्थान बना लेते हैं। वृंदावन की भक्ति परंपरा को समृद्ध करने में श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज का योगदान अतुलनीय है।
प्रेमानंद जी महाराज के जीवन के कुछ प्रेरक प्रसंग: Shri Hit Premanand Ji Maharaj
1. गरीबों के प्रति दया:
एक बार, प्रेमानंद जी महाराज एक गरीब भक्त के घर भोजन करने गए। भक्त ने उन्हें जो कुछ भी था, वह भोजन कराया। भोजन के बाद, प्रेमानंद जी ने भक्त को एक चांदी का सिक्का दिया। भक्त ने सिक्का लेने से मना कर दिया, यह कहते हुए कि यह दान में दिया गया था। प्रेमानंद जी ने कहा, “यह दान नहीं, बल्कि तुम्हारे सेवा का पुरस्कार है।”
2. भक्ति का मार्ग: By Shri Hit Premanand Ji Maharaj
एक बार, एक व्यक्ति प्रेमानंद जी से भक्ति का मार्ग जानना चाहता था। प्रेमानंद जी ने कहा, “भक्ति का मार्ग प्रेम से शुरू होता है। जब तुम भगवान से प्रेम करोगे, तो तुम उसकी सेवा करना चाहोगे। सेवा करने से तुम्हें आत्मज्ञान प्राप्त होगा।”
3. क्षमा का महत्व: By Shri Hit Premanand Ji Maharaj
एक बार, एक व्यक्ति ने प्रेमानंद जी को गाली दी। प्रेमानंद जी ने शांत रहकर कहा, “बेटा, मुझे क्षमा कर दो। मैंने तुम्हें कोई गलती तो नहीं की?” व्यक्ति ने अपनी गलती स्वीकार की और प्रेमानंद जी से क्षमा मांगी।
4. आत्मविश्वास:
एक बार, एक शेर प्रेमानंद जी के पास आया। प्रेमानंद जी ने शेर से डरने के बजाय शांत रहकर उसे भगवान का नाम जपने के लिए कहा। शेर शांत हो गया और प्रेमानंद जी के चरणों में बैठ गया।
5. त्याग:
प्रेमानंद जी ने अपना जीवन दूसरों की सेवा में समर्पित कर दिया। उन्होंने भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण और त्याग का जीवन जिया।
निष्कर्ष:
प्रेमानंद जी महाराज एक महान संत और शिक्षक थे। उनके जीवन के प्रेरक प्रसंग हमें सिखाते हैं कि हमें प्रेम, दया, क्षमा, आत्मविश्वास और त्याग का जीवन जीना चाहिए।
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People also ask:
Q. प्रेमानंद जी महाराज की उम्र कितनी है?
प्रेमानंद महाराज की उम्र लगभग 60 वर्ष के आसपास है. दरअसल, महाराज काफी समय तक काशी में रहे, फिर वृंदावन आए तो उनकी उम्र का एक दम सटीक वर्ष बताना मुश्किल है
Q. प्रेमानंद महाराज से कैसे मिले?
Q. प्रेमानंद महाराज की किडनी कब से खराब है?