Ram Mandir 22 January 2024: The untold story of Ayodhya land dispute, exile ends after 500 years.
Ram Mandir – Untold Story Of Ayodhya
Ram Mandir – Untold Story Of Ayodhya
Ayodhaya ये एक ऐसा नाम है जिसे सुनते ही हर एक हिन्दू का रोम – रोम प्रभु श्रीराम के नाम का अपने आप ही स्मरण करने लगता है अयोध्या जहां मेरे प्रभु श्रीराम ने जन्म लिया और श्री राम की बचपन की यादो से मन भरने लगता है क्योकि अयोध्या में श्री राम के मंदिर के लिए लाखो हिन्दुओं ने अपनी जान गवा दी ।
ये इस देश की विडम्बना कहे या राजनितिक लोगों की कोई चाल जो हर बार किसी ना किसी तरह इस राम जन्म भूमि को सिर्फ एक राजनितिक मुद्दा बना रखा था और मंदिर निर्माण के नाम पर हिन्दुओं का कत्लेआम किया जा रहा था वो भी सिर्फ एक ढांचे के लिए जो एक आक्रमणकारी , अत्याचारी लोगों द्वारा श्रीराम मंदिर को तोड़ कर बनाया गया था।
हम जानेंगे सबसे पहले श्री राम मंदिर को किसने और कब – कब बनवाया था क्योकि इतिहास में अनेकों बार प्रभु श्रीराम के मंदिर को तोडा गया था। अब 9 अगस्त 2019 में जाकर मेरे प्रभु श्रीराम का 492 साल बाद असलियत में वनबास ख़त्म हुआ | जो देश के समस्त हिन्दुओ के पीढ़ी दर पीढ़ी प्रयासरत उनके बलिदानों और मौजूदा भारतीय सरकार के सफल प्रयासों और सुप्रीम कोर्ट (Supreme court of india) की पूरी जांच पड़ताल के बाद आये फैसले से साफ़ हो गया कि ये प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि है ना की कोई ढांचा जो आक्रमणकारियों द्वारा मंदिर तोड़ कर बनाया गया था।
यह भी पढ़ें: मथुरा में कृष्ण जन्मस्थान
श्री राम पुत्र कुश ने सबसे पहले बनवाया मंदिर:
बताया जाता है कि भगवान राम के जल समाधि लेने के बाद अयोध्य धीरे-धीरे उजड़ती जा रही थी लेकिन राम जन्मभूमि पर बना महल वैसा ही था। भगवान राम के पुत्र कुश ने फिर अयोध्या को पुनर्निर्माण किया और इसके बाद सूर्यवंश की अनेकों पीढ़ियों ने यहां पर राज किया। सूर्यवंश के आखिरी राजा महाराजा बृहद्बल तक राम जन्मभूमि की देखभाल होती रही।
महाभारत युद्ध के दौरान सूर्यवंश के आखिरी राजा महाराजा बृहद्बल की मृत्यु अभिमन्यु के हाथों हुई। इसके बाद भी राम जन्मभूमि को लेकर लोगों के बीच मान्यता रही और पूजा-पाठ का कार्य जारी रहा। लेकिन जो साक्ष्य मिलते हैं, उसके अनुसार कालातंर में मंदिर तो बना रहा लेकिन अयोध्या का धीरे-धीरे उजड़ती गई।
विक्रमादित्य ने बनवाया भव्य राम मंदिर:
साक्ष्यों के अनुसार, ईसा के लगभग 100 साल पहले उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य एक टहलते-टहलते अयोध्या पहुंच गए थे। जब वह थक गए तो उन्होंने सरयू नदी पर एक पेड़ के नीचे विश्राम किया, उस वक्त तक अयोध्या में कोई बनावट नहीं बची थी, केवल जंगल था। तब विक्रमादित्य ने खोज शुरू की तब साधु-संतों से पता चला कि यह भगवान राम की जन्मस्थली है।
तब सम्राट विक्रमादित्य ने भव्य राम मंदिर निर्माण के साथ-साथ सरोवर, महल, कूप आदि कई विकास के कार्य किए। बताया जाता है कि उस वक्त राम जन्मभूमि पर बने मंदिर की भव्यता देखने लायक थी। हर कोई भगवान राम के साथ उस भव्यता को चमत्कार करता। विक्रमादित्य के बाद कई राजाओं ने मंदिर की देखभाल करते रहे और पूजा-पाठ का कार्य जारी रहा।
पुष्यमित्र ने करवाया मंदिर का जीर्णोद्धार:
इसके बाद शुंग वंश के प्रथम शासक पुष्यमित्र ने राम जन्मभूमि पर बने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। पुष्यमित्र को अयोध्या से एक शिलालेख मिला, जिसमें पता चलता है कि अयोध्या गुप्तवंशीय चंद्रगुप्त द्वितीय की राजधानी रही थी। साथ ही उस समय के कालिदास ने भी कई बार अयोध्या के राममंदिर का उल्लेख किया है। उसके बाद कई राजा-महाराजा आए और राम मंदिर की देखभाल करते रहे।
बौद्ध केंद्र के रूप में हुआ विकसित:
इतिहासकारों की माने तो 5वीं शताब्दी में अयोध्या बौद्ध केंद्र के रूप में विकसित हुआ। यहां पर आदिनाथ सहित 5 तीर्थकारों का जन्म हुआ। तब इसका नाम साकेत हुआ करता था। 5वीं से लेकर 7वीं शताब्दी तक यहां पर कम से कम 20 बौद्ध मंदिर थे और उनके साथ हिंदुओं का एक भव्य मंदिर भी था, जहां हर रोज दर्शन करने के लिए आते थे। इसके बाद 11वीं शताब्दी में कन्नौज के राजा जयचंद ने मंदिर से सम्राट विक्रमादित्य का शिलालेख हटवाकर अपना नाम लिखवा दिया।
मंदिर तोड़ बनाया ढाँचा:
पानीपत के युद्ध के दौरान राजा जयचंद की मृत्यु हो गई और उसके बाद बाहर से कई आक्रमणकारी आए और उन्होंने अयोध्या समेत, मथुरा, काशी पर आकम्रण कर दिया और मंदिर को तोड़ा गया और पुजारियों की हत्या की गई। लेकिन 14वीं शताब्दी तक वे अयोध्या में बने राममंदिर को तोड़ नहीं पाए। बताया जाता है कि सिंकदर लोदी के शासनकाल के दौरान भी भव्य राममंदिर था। 14वीं शताब्दी के बाद मुगलों का अधिकार हो गया और 1527-28 के दौरान भव्य राममंदिर को तोड़कर उसकी जगह ढाँचा बना दिया गया |
राम मंदिर के इतिहास में 5 अगस्त 2020 का दिन सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया। 1528 से लेकर 2020 तक यानी 492 साल के इतिहास में कई मोड़ आए। कुछ मील के पत्थर भी पार किए गए। खास तौर से 9 नवंबर 2019 का दिन जब 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने ऐतिहासिक फैसले को सुनाया।
अयोध्या जमीन विवाद मामला देश के सबसे लंबे चलने वाले केस में से एक रहा। आइए आपको बताते हैं कि इस विवाद की नींव कब पड़ी और अब तक के इतिहास के अहम पड़ाव- ( The Ayodhya land dispute case was one of the longest running cases in the country. Let us tell you when the foundation of this controversy was laid and the important stages of history so far )
अयोध्या राम मंदिर विवाद क्या है – What was the Ayodhya Ram Temple controversy?
साल 1528: मुगल बादशाह बाबर के सिपहसालार मीर बाकी ने (विवादित जगह पर) एक ढाँचे का निर्माण कराया। इसे लेकर हिंदू समुदाय ने दावा किया कि यह जगह भगवान राम की जन्मभूमि है और यहां एक प्राचीन मंदिर था। हिंदू पक्ष के मुताबिक मुख्य गुंबद के नीचे ही भगवान राम का जन्मस्थान था। उस विवादित ढाँचे में तीन गुंबदें थीं।
साल 1853-1949 तक: 1853 में इस जगह के आसपास पहली बार दंगे हुए। 1859 में अंग्रेजी प्रशासन ने विवादित जगह के आसपास बाड़ लगा दी। मुसलमानों को ढांचे के अंदर और हिंदुओं को बाहर चबूतरे पर पूजा करने की इजाजत दी गई।
साल 1949: असली विवाद शुरू हुआ 23 दिसंबर 1949 को, जब भगवान राम की मूर्तियां ढाँचे में पाई गईं। हिंदुओं का कहना था कि भगवान राम प्रकट हुए हैं, जबकि मुसलमानों ने आरोप लगाया कि किसी ने रात में चुपचाप मूर्तियां वहां रख दीं। यूपी सरकार ने मूर्तियां हटाने का आदेश दिया, लेकिन जिला मैजिस्ट्रेट (डीएम) केके नायर ने दंगों और हिंदुओं की भावनाओं के भड़कने के डर से इस आदेश को पूरा करने में असमर्थता जताई। सरकार ने इसे विवादित ढांचा मानकर ताला लगवा दिया।
साल 1950: फैजाबाद सिविल कोर्ट में दो अर्जी दाखिल की गई। इसमें एक में रामलला की पूजा की इजाजत और दूसरे में विवादित ढांचे में भगवान राम की मूर्ति रखे रहने की इजाजत मांगी गई। 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने तीसरी अर्जी दाखिल की।
साल 1961: यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अर्जी दाखिल कर विवादित जगह के पजेशन और मूर्तियां हटाने की मांग की।
साल 1984: विवादित ढांचे की जगह मंदिर बनाने के लिए 1984 में विश्व हिंदू परिषद ने एक कमिटी गठित की।
साल 1986: यूसी पांडे की याचिका पर फैजाबाद के जिला जज केएम पांडे ने 1 फरवरी 1986 को हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत देते हुए ढांचे पर से ताला हटाने का आदेश दिया।
6 दिसंबर 1992: श्रीराम भक्तो और दूसरे हिंदू संगठनों के लाखों कार्यकर्ताओं ने विवादित ढांचे को गिरा दिया। देश भर में सांप्रदायिक दंगे भड़के गए, जिनमें 4 लाख से ज्यादा हिन्दु मारे गए।
साल 2002: अयोध्या से दर्शन कर हिंदू भक्तो को लेकर जा रही ट्रेन में गोधरा में आग लगा दी गई, जिसमें 58 लोगों की मौत हो गई। इसकी वजह से गुजरात में हुए दंगे में 2 हजार से ज्यादा लोग मारे गए।
साल 2010: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित स्थल को सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़ा के बीच 3 बराबर-बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया।
साल 2011: सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई।
साल 2017: सुप्रीम कोर्ट ने आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट का आह्वान किया। बीजेपी के शीर्ष नेताओं पर आपराधिक साजिश के आरोप फिर से बहाल किए।
8 मार्च 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा। पैनल को 8
सप्ताह के अंदर कार्यवाही खत्म करने को कहा।
1 अगस्त 2019: मध्यस्थता पैनल ने रिपोर्ट प्रस्तुत की।
2 अगस्त 2019: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता पैनल मामले का समाधान निकालने में विफल रहा।
6 अगस्त 2019: सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई शुरू हुई।
16 अक्टूबर 2019: अयोध्या मामले की सुनवाई पूरी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा।
9 नवंबर 2019: सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया। 2.77 एकड़ विवादित जमीन हिंदू पक्ष को मिली। ढाँचे के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन मुहैया कराने का आदेश।
25 मार्च 2020: तकरीबन 28 साल बाद रामलला टेंट से निकलर मंदिर में विराजमान किया ।
5 अगस्त 2020: राम मंदिर का भूमि पूजन कार्यक्रम। पीएम नरेंद्र मोदी (Prime Minister Shri Narendra Modi ), आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat), यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ( uttar pradesh chief minister shri yogi aadityanath) और साधु-संतों समेत 175 लोगों को न्योता। अयोध्या पहुंचकर हनुमानगढ़ी में सबसे पहले पीएम मोदी ने किया दर्शन। राम मंदिर के भूमि पूजन कर राम मंदिर की नीब रखी।
राम मंदिर कब तक बन कर तैयार होगा -When will the Ram Temple be completed?
अयोध्या में भव्य राम मंदिर दिसंबर 2023 तक जनता के लिए खोल दिया जाएगा, पूरी परियोजना 2025 तक पूरी हो सकती है। मंदिर परिसर में एक संग्रहालय, डिजिटल अभिलेखागार और एक शोध केंद्र भी बनेगा।
मंदिर तोड़ बनाई मस्जिद, 14वीं शताब्दी के बाद मुगलों का अधिकार हो गया और 1527-28 के दौरान भव्य राममंदिर को तोड़कर उसकी जगह मस्जिद बना दी गई। इसके बाद 5 अगस्त 2020 को राम मंदिर निर्माण का कार्य फिर से शुरू हुआ।
“गर्व से कहिये हम हिन्दू है”
“जय श्रीराम जय हनुमान जय माँ भारती”
Brijbhakti.com और Brij Bhakti Youtube Channel आपको वृंदावन के सभी मंदिरों के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहा है जो भगवान कृष्ण और उनकी लीलाओं से निकटता से जुड़े हुए हैं। हमारा एकमात्र उद्देश्य आपको पवित्र भूमि के हर हिस्से का आनंद लेने देना है, और ऐसा करने में, हम और हमारी टीम आपको वृंदावन के सर्वश्रेष्ठ के बारे में सूचित करने के लिए तैयार हैं!
और भी पढ़ें :
श्री कृष्णा जन्मभूमि मंदिर, मथुरा