Bihar Panchmi 2023: Bihar Panchami Date: Sunday, 17 December 2023
Bihar Panchmi 2023: Shri Bankey Bihari Prakat Utsav वृन्दावन वह जगह है जहां की कुंज गलियों में श्री राधा-कृष्ण का अनोखा प्रेम परवान चढ़ा रहता हैं। ब्रज भूमि में आने वाला हर भक्त राधा कृष्ण प्रेम के धागे से बंधा है इसकी एक झलक बांके बिहारी जी के मंदिर में देखने को मिलती है। यह मंदिर आस्था और भक्ति एक ऐसा संगम है जिसमें हर कोई डुबकी लगाना चाहता है। यहां राधा कृष्ण के प्रेम रूपी गंगा-यमुना का पवित्र संगम होता है।
स्वामी श्री हरिदास जी की गोद में बैठे हुए श्री कृष्ण की छवि इस कहावत को चरितार्थ करती है भक्त के वश में भगवान है।
स्वामी श्री हरिदास जी ने कठोर साधना करके बांके बिहारी जी को प्रकट किया था। तभी से बृज भूमि पर इस दिन को बिहार पंचमी के रूप में मनाया जाता है बिहार पंचमी यानी बांके बिहारी जी के प्रकट होने का दिन है। बांके बिहारी जी के प्राकट्य के साथ-साथ स्वामी हरिदास जी के अनन्य भक्ति की याद को भी ताजा करता है।
कहते हैं कि अगर कोई बांके बिहारी जी की छवि को एक टक लगातार देख लेता है तो भगवान उसके साथ चल देते है। बांके बिहारी जी को थोड़ी थोड़ी देर में परदे से ढक दिया जाता है। जिससे एक लगतार नहीं देख सकते है।
स्वामी श्री हरिदास जी निधिवन के कुंजो में प्रतिदिन श्रीराधाकृष्णा ज की नित्य रास और नित्य विहार का दर्शन किया करते थे और अत्यंत सुंदर पद गया भी करते थे। वो कोई साधारण मनुष्य नहीं थे, भगवन कि प्रमुख सखी श्री ललिता सखी जी के अवतार थे।
Bihar Panchmi 2023: Bihar Panchami Date: Sunday, 17 December 2023
जब तक वो धरती पर रहे, उन्होंने नित्य रास में भाग लिया और प्रभु के साथ अपनी नजदीकियों का हमेशा आनंद उन्हें प्राप्त हुआ। उनके दो प्रमुख शिष्य थे। सबसे पहले थे उनके अनुज गोस्वामी जगन्नाथ जी जिनको स्वामी जी ने ठाकुर जी की सेवा के अधिकार दिए और आज भी वृन्दावन में बांके बिहारी मंदिर के सभी गोस्वामी जगन्नाथ जी के ही कुल के हैं। उनके दूसरे शिष्य थे उनके भतीजे श्री विठ्ठल विपुल देव जी। बिहार पंचमी के दिन विठ्ठल विपुल देव जी का जन्मदिन भी होता है।
Shri Banke Bihari Temple Vrindavan
Untold Story Of Bihar Panchmi – Shri Bankey Bihari Prakat Utsav
मार्गशीर्ष, शुक्ल पक्ष, पंचमी को ही हमारे वृन्दावन बिहारी श्री बांके बिहारी जी का प्राकट्य उत्सव मनाया जाता है । इस दिन सभी संतो रसिक जन और संत जनो ने स्वामी हरिदास जी महाराज से प्रार्थना की महाराज आप तो नित्य बिहारी जी के दर्शन करते है उनको रिझाते ,लीला करते है। आम जनमानस , भक्त कैसे बिहारी जी को देख पाएंगे। उनको प्रकट कीजिये विनती कीजिये जिनसे सभी पर उनकी कृपा बरस सके और हम सभी उनका दर्शन कर सके।
स्वामी जी के सब शिष्य उनसे रोज आग्रह किया करते थे कि वो खुद तो रोज नित्य विहार का आनंद उठाते है कभी उन्हें भी यह सौभाग्य दें जिससे वो भी इस नित्य रास का हिस्सा बन सके। पर स्वामी जी ने कहा की सही समय आने पर उन्हें स्वतः ही इस रास का दर्शन हो जायेगा क्योंकि रास का कभी भी वर्णन नहीं किया जा सकता।
Nidhivan Temple | Top secret story of Nidhivan Temple
इसका तो केवल दर्शन ही किया जा सकता है और वो दर्शन आपको भगवान के आलावा कोई नहीं करा सकता। स्वामी जी का एक कुञ्ज था वो जहा वो रोज साधना किया करते थे। उनके सभी शिष्य इस बात को जानने के लिए काफी व्याकुल थे कि ऐसा क्या खास है उस कुञ्ज में।एक दिन जिस दिन विठ्ठल विपुल देव जी का जन्मदिन था, स्वामी जी ने सबको उस कुञ्ज में बुलाया।
जब सब विठ्ठल विपुल देव जी के साथ उस कुञ्ज में गए तो सब एक दिव्या प्रकाश से अंधे हो गए और कुछ नज़र नहीं आया। फ़िर स्वामी जी सबको अपने साथ वह लेकर आये और सबको बिठाया। स्वामी जी प्रभु का स्मरण कर रहे थे, उनके सभी सिष्य उन का अनुसरण कर रहे थे और सबकी नज़रे उस कुञ्ज पर अटकी हुई थी और सब देखना चाहते थे कि क्या है इस कुञ्ज का राज़. तो सबके साथ स्वामी जी यह पद गाने लगे-
“माई री सहज जोरी प्रगट भई जू रंग कि गौर श्याम घन दामिनी जैसे
प्रथम हूँ हुती अब हूँ आगे हूँ रहीहै न तरिहहिं जैसें
अंग अंग कि उजराई सुघराई चतुराई सुंदरता ऐसें
श्री हरिदास के स्वामी श्यामा कुंजबिहारी सम वस् वैसें “
जिस समय प्रकाश गुफा से, उस समय प्रिया- प्रियतम मुस्कुराते हुए अनंत रूप, राशि, उज्वल प्रभा सौन्दर्य जगमगा रहा था । प्रिया – प्रियतम के उस अपूर्व रूप का दर्शन मानो अनेकों सूर्यो के प्रकाश के समान था जिसे देखकर उपस्थित जन धन्य हो गए। तभी स्वामी हरिदास जी ने प्रिया जी से कहा आपके सौन्दर्य को लोक सहन नहीं कर पायेगा । अतः आप दोनों एक ही रूप में प्रकाशित होकर दर्शन दीजिये स्वामी जी के आग्रह से प्रिय और प्रीतम एक दूसरे के अंदर लीन हो गए।
चेहरे पे मंद मंद मुस्कान, घुंघराले केश, हाथों में मुरली, पीताम्बर धारण किये हुआ जब प्रभु कि उस मूरत का दर्शन सब ने किया तो सबका क्या हाल हुआ। उसका वर्णन नहीं किया जा सकता। वे अपनी पलक झपकाना भी भूल गए और ऐसे बैठे हुए हैं मानो कोई शरीर नहीं बल्कि एक मूर्ति हैं।
प्रभु कि शोभा ऐसी ही है जैसी घनघोर घटा कि होती है. यह युगल जोड़ी हमेशा विद्यमान रहती है।
प्रकृति के कण कण में युगल सरकार विराजमान है। और ये हमेशा किशोर अवस्था में ही रहते हैं। और फ़िर वही धरती से स्वामी जी को एक दिव्या विग्रह प्राप्त हुआ जिसमे राधा और कृष्ण दोनों का रूप है।
इसी विग्रह के माध्यम से ठाकुर जी हमें श्री धाम वृन्दावन में दर्शन देते हैं। यही कारण है कि ठाकुर जी का आधा श्रृंगार पुरुष का होता है और आधा श्रृंगार स्त्री का होता है।
Shri Bankey Bihari Prakat Utsav यह त्यौहार श्री धाम वृन्दावन में आज भी बहुत धूम धाम से मनाया जाता है. सुबह सबसे पहले निधिवन में प्रभु के प्राकट्य स्थल में जो भगवन में प्रतीक चरण चिन्ह है उनका पंचामृत अभिषेक किया जाता है. फ़िर एक विशाल सवारी स्वामी जी की वृन्दावन के प्रमुख बाजारों से होती हुई ठाकुर जी के मंदिर में पहुँचती हैं.
Vrindavan Ki Mahima, Untold Story Of Vrindavan
स्वामी जी कि सवारी में हाथी, घोड़े, कीर्तन मंडली इत्यादि सब भाग लेते हैं. सवारी के सबसे आगे तीन रथ चलते हैं
इनमे से एक रथ में स्वामी श्री हरिदास जी, एक में गोस्वामी जगन्नाथ जी और एक रथ में विठ्ठल विपुल देव जी के चित्र विराजमान होते हैं.
ये रथ रज भोग के समय ठाकुर जी के मंदिर में पहुँचते है और फ़िर तीनो रसिकों के चित्र मंदिर के अंदर ले जाये जाते हैं.
ऐसा माना जाता है कि इस दिन ठाकुर जी हरिदास जी महाराज कि गोद में बैठकर उनके हाथों से भोग लगाते हैं.
Shri Banke Bihari Vinay Pachasa with lyrics
Bihar Panchami 2023 Date:
Bihar Panchami Date: Sunday, 17 December 2023
Bihar Panchmi – Prabhu Shri Ram And Mata Sita Marrige
मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की बिहार पंचमी तिथि को जनक दुलारी माता सीता और भगवान श्री राम का विवाह हुआ था। इस दिन को शास्त्रों में विवाह पंचमी के नाम से जाना जाता है भगवान राम और माता सीता का विवाह रामायण का मुख्य भाग है।
बताया जाता है कि जब राम और सीता का विवाह हुआ था, तब तीन लोकों में देवी-देवता झूम उठे थे। उनकी जैसी जोड़ी वाला तीनों लोकों में कोई नहीं था। विवाह के बाद से ही माता सीता के जीवन में सुख-दुख की धूप-छांव शुरू हो गई थी। माता सीता को हमेशा पतिव्रत और उच्चतम चरित्र वाली महिला के रूप में पूजा जाता है।
Brijbhakti.com और Brij Bhakti Youtube Channel आपको वृंदावन के सभी मंदिरों के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहा है जो भगवान कृष्ण और उनकी लीलाओं से निकटता से जुड़े हुए हैं। हमारा एकमात्र उद्देश्य आपको पवित्र भूमि के हर हिस्से का आनंद लेने देना है, और ऐसा करने में, हम और हमारी टीम आपको वृंदावन के सर्वश्रेष्ठ के बारे में सूचित करने के लिए तैयार हैं।
यह भी पढ़ें: