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2024 Amazing rath ka mela vrindavan: चंदन के विशाल रथ पर निकलेगें भगवान रंगनाथ

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rath ka mela vrindavan
rath ka mela vrindavan

Shri Rangnath Mandir Vrindavan

श्री रंगजी मंदिर पूरे उत्तर भारत में सबसे बड़े मंदिरों में से एक है। यह भारत के बहुत कम मंदिरों में से एक है, जहां नियमित त्योहार मनाए जाते हैं और सभी परंपराओं और अनुष्ठानों को निर्धारित वैदिक मानदंडों के अनुसार किया जाता है।

श्रीरंगजी मंदिर में दक्षिण और उत्तर भारतीय दोनों परंपराओं का एक अनूठा मिश्रण मिलेगा। दक्षिण भारतीय श्रीवैष्णव मंदिर परंपरा का हिस्सा होने वाले सभी त्योहारों को मनाने के अलावा, कई त्योहार जो उत्तर परंपरा का हिस्सा हैं, यहां भी मनाए जाते हैं।उदाहरण के लिए यह केवल श्रीरंगजी मंदिर में है जहां भक्त श्रीब्रह्मोत्सव के दौरान भगवान के साथ होली खेलने का आनंद ले सकते हैं।

2024 rath ka mela vrindavan, चंदन के विशाल रथ पर निकलेगें भगवान रंगनाथ

Rath Ka Mela vrindavan: रथ का मेला वृन्दावन में महत्त्वपूर्ण उत्सव है। होली समाप्त होते ही चैत्र कृष्ण पक्ष द्वितीया से रंग जी मंदिर , वृन्दावन का प्रसिद्ध रथ मेला प्रारम्भ हो जाता है। प्रतिदिन विभिन्न सोने–चांदी के वाहनों पर भगवान रंगनाथ जी की सवारी निकलती है। चैत्र कृष्ण नवमी को रथ का मेला तथा दसवीं को भव्य आतिशबाज़ी होती है। यह ब्रह्मोत्सव-मेला दस दिन तक लगता है।

वृन्दावन में रंग नाथ जी मन्दिर से थोड़ी दूर एक छत से ढका हुआ निर्मित भवन है, जिसमें भगवान का रथ रखा जाता है। यह लकड़ी का बना हुआ है और विशालकाय है। यह रथ वर्ष में केवल एक बार ब्रह्मोत्सव के समय चैत्र में बाहर निकाला जाता है।

प्रतिदिन मन्दिर से भगवान रथ में जाते हैं। सड़क से चल कर रथ 690 गज़ रंगजी के बाग़ तक जाता है जहाँ स्वागत के लिए मंच बना हुआ है। इस जलूस के साथ संगीत, सुगन्ध सामग्री और मशालें रहती हैं। जिस दिन रथ प्रयोग में लाया जाता है, उस दिन अष्टधातु की मूर्ति रथ के मध्य स्थापित की जाती है। इसके दोनों ओर चौरधारी ब्राह्मण खड़े रहते हैं।

Shri Rangnath Mandir Vrindavan

Rath Ka Mela vrindavan

Rath Ka Mela vrindavan
Rath Ka Mela vrindavan

भीड़ के साथ लोग भी जब-तब रथ के रस्से को पकड़ कर खींचते हैं। लगभग ढाई घन्टे के अन्तराल में काफ़ी ज़ोर लगाकर यह दूरी पार कर ली जाती है। आगामी दिन शाम की बेला में आतिशबाज़ी का शानदार प्रदर्शन किया जाता है।

आस-पास के दर्शनार्थियों की भीड़ भी इस अवसर पर एकत्र होती है। अन्य दिनों जब रथ प्रयोग में नहीं आता तो भगवान की यात्रा के लिए कई वाहन रहते हैं। कभी जड़ाऊ पालकी तो कभी पुण्य कोठी, तो कभी सिंहासन होता है। कभी कदम्ब तो कभी कल्पवृक्ष रहता है।

कभी-कभी किसी उपदेवता को भी वाहन के रूप में प्रयोग किया जाता है। जैसे- सूरज, गरुड़, हनुमान या शेषनाग। कभी घोड़ा, हाथी, सिंह, राजहंस या पौराणिक शरभ जैसे चतुष्पद भी प्रयोग में लाये जाते हैं।

श्रीरंगनाथ मन्दिर का रथ का मेला 10 दिवसीय कार्यक्रम

          27 मार्च 2024

प्रातः 8 से 11 बजे तक श्रीपूर्णकोठी

सायं 7:30 से रात्रि 10:30 बजे तक श्रीसिंह

       28 मार्च 2024

प्रातः 8 से 11 बजे तक श्रीसूर्यप्रभा

सायं1 से रात्रि 10 बजे तक श्रीहंस

      29 मार्च 2024

प्रातः 8 से 10:30 बजे तक श्रीगरुणजी

सायं 7 से रात्रि 10 बजे तक श्रीहनुमानजी
(छोटी आतिशबाजी)

30 मार्च 2024

प्रातः 8 से 11 बजे तक श्रीशेषजी

सायंसे रात्रि 10:30 बजे तक श्रीकल्पवृक्ष

 31 मार्च 2024

प्रात:7 से दोप.2 बजे तक श्रीपालकी

सायं 7:30 से रात्रि 10:30 बजे तक श्रीसिंहशार्दूल

 01 अप्रैल 2024

4से सायं 6 बजे तक श्रीकाँच का विमान

रात्रि 9:30 से रात्रि 12 बजे तक श्रीहाथी

02 अप्रैल 2024

प्रातः 7:30 से दोप. 3 बजे तक “श्री  भगवान रंगनाथ जी, विशेष चंदन रथ पर सवार होकर भक्तजनों को दर्शन देंगे।

 03 अप्रैल 2024

सायंसे रात्रि 10:30 बजे तक श्रीअश्व वाहन

(बड़ी आतिशबाजी) 

04 अप्रैल 2024

प्रातः 7:30 से 10:30 बजे तक श्रीपालकी

दोप. 12 से 3 बजे तक श्रीयमुना स्वरूपिणी
श्रीपुष्करिणी में अवभृथ स्नान

रात्रि 8 से 11:30 बजे तक
श्रीचन्द्र प्रभा

 05 अप्रैल 2024

रात्रि 10:30 से 12:30 बजे तक श्रीपुष्प विमान


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