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Shree Suktam (श्री सूक्तम): Hindi meaning with PDF, जानिए लक्ष्मी की कृपा के रहस्य।।

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Shree Suktam
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Shree Suktam (श्री सूक्तम): अनुवाद सहित जानिए लक्ष्मी की कृपा के रहस्य।। hindi lyrics and pdf

श्री सूक्तम (Shree Suktam) संस्कृत में एक प्रमुख स्तुति है जो देवी श्री लक्ष्मी की महिमा को स्तुति रूप में बताती है। यह वेद ऋग्वेद के मण्डल १०, सूक्त १०७ में मिलता है। नीचे श्री सूक्तम का संस्कृत में पाठ और हिंदी में अनुवाद दिया गया है:

श्री सूक्तम (Shree Suktam) – संस्कृत
श्री सूक्तम (Shree Suktam) – हिंदी अनुवाद

ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम्।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह।।1।।

ॐ हे हिरण्यवर्णा, हे हरिणी, सुवर्णरजतस्रजावाली,
जिनकी आभा सूर्य और चंद्रमा के समान है।
हे जातवेदो (ब्रह्मा), तुम हमें लक्ष्मी प्रदान करो।।1।।

तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम्।।2।।

हे जातवेदो, हमें उस लक्ष्मी को प्रसन्न करने वाली और सब दुःखों को नष्ट करने वाली श्री लक्ष्मी को प्रसन्न करो।
जिसके शरीर को हीरे की तरह चमकते हुए देखना गया है और जिसके पास सोना, गाय, और पुरुषार्थों का सिर है।।2।।

अश्वपूर्वं रथमध्यं हस्तिनादप्रबोधिनीम्।
श्रीयं देवीमुपह्वये श्रीरुर्जेवलतां यशः।।3।।

जो अपने रथ को होंगे आगे और हाथी की तरह सुंदर होंगे,
हे देवी श्री, हम तुम्हें यही चाहिए कि हमारे जीवन में श्री, यश और जीवनुका हो।।3।।

कां सोऽअस्त्ववसां पुरुषः कां राधागुम्भसूते।
यः श्रीरासावदादीत्यो विग्ंशतीं यजुराजुषी।।4।।

कौन है वह पुरुष, जो पहले से ही अपने हस्तकोण में सोने का योगदान करता है,
और जिसकी श्री महालक्ष्मी द्वारा ही हीरा, गाय और मनुष्यों को प्राप्त होता है?।।4।।

यः श्रीः स्वयं दधाति सम्बाध्य च विश्वस्य।
अयस्यैव महानश्वान् योऽन्तरिक्षे रजांसि यः।।5।।

जो श्री है, जो स्वयं ही सभी वस्त्रों को बांधती है और जगत को समेटती है,
जो आसमान में तेजस्वी राजा है और जो अंतरिक्ष में ब्रज को सुसंगत बनाए रखती है।।5।।

योऽश्वानां भवन्त्याधिपतिर्योऽवसां श्रिया पतिः।
योऽन्तर्दद्यौ विष्णुराग्रे भूतान्यज इतामुखः।।6।।

जो आदिपुरुष और व्यापक है, जो सभी अश्वों के स्वामी हैं,
जो सभी वस्त्रों का रक्षक है, जो सूर्य के सामने सभी भूतों को शक्तिप्रद प्रकट करता है।।6।।

यो देवीं यजुरूपेण प्रतिमुधासूयति।
यो देवीमिन्द्रविर्येण शत्रुं नाशयति।।7।।

जो देवी को यजुर्वेद के रूप में पूजता है,
जो देवी को इन्द्रविर्य (शक्तिशाली और अद्वितीय) रूप में पूजता है,
जो देवी की कृपा से शत्रु को समाप्त करता है।।7।।

तं मां पाहि शरणागतवत्सलं त्वामापद्यान्तरायाणाम्।
श्रीयं देवीमुपह्वये श्रीरुर्जेवलतां यशः।।8।।

हे देवी, हे शरणागतवत्सले, तुम मुझे पालन करो,
मुझे संसार के दुःखों से बाहर रखो,
हे देवी श्री, हमें श्री, यश और जीवनुका प्रदान करो।।8।।

 

यह Shree Suktam (श्री सूक्तम) श्रीमहालक्ष्मी की प्रशंसा का अद्भुत प्रमाण है और इसे सुनकर भक्ति भाव से मन को शांति, श्री, और समृद्धि प्राप्त होती है। श्री सूक्तम का पाठ करने के कई अनुमानित फायदे हो सकते हैं, यह स्तोत्र भक्ति और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है. यहां कुछ मुख्य फायदे हैं-

1. धन और समृद्धि की प्राप्ति: श्री सूक्तम का पाठ करने से विशेष रूप से धन, समृद्धि और ऐश्वर्य में वृद्धि होने का अनुमान होता है. इसे लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए जाना जाता है।

2. आर्थिक स्थिति की सुधार: श्री सूक्तम का पाठ करने से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है और उसकी आर्थिक समस्याओं का समाधान हो सकता है।

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3. शांति और सुख-शांति: इस स्तोत्र के पाठ से मानव मन में शांति और सुख-शांति का अनुभव हो सकता है. यह मानव जीवन को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखने में मदद कर सकता है।

4. कुटुम्बिक कल्याण: श्री सूक्तम का पाठ करने से कुटुम्बिक कल्याण और परिवार के सदस्यों के लिए मंगलकारी प्रभाव हो सकता है।

5. आत्मिक विकास और शक्ति: इस सूक्तम का पाठ करने से आत्मिक विकास हो सकता है और व्यक्ति अपनी अंतर्निहित शक्तियों को समझने में सक्षम हो सकता है।

6. भक्ति और आद्यात्मिक प्रगति: श्री सूक्तम का पाठ करने से भक्ति में वृद्धि होती है और व्यक्ति आद्यात्मिक प्रगति की दिशा में बढ़ता है।

यह फायदे व्यक्ति की नियति, श्रद्धा, और प्रार्थना के परिणाम स्वरूप हो सकते हैं, और इसे अच्छे अध्यात्मिक अनुभव की ओर प्रवृत्ति कर सकते हैं।


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